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बीकानेर,कृषि महाविद्यालय बीकानेर के शस्य विज्ञान विभाग द्वारा कृषि आय बढ़ाने के लिए जैविक खेती विषय पर सात दिवसीय प्रशिक्षण स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय के मानव संसाधन विकास निदेशालय के सभागार में मंगलवार से प्रारंभ हुआ। यह जानकारी देते हुए प्रशिक्षण समन्वयक डॉ एस आर भुनिया ने बताया कि युवा उद्यमियों को जैविक खेती की ओर प्रेरित करने तथा खेती उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में लाकर आय बढ़ाने के लिए आयोजित किए गए इस प्रशिक्षण में राजस्थान के विभिन्न भागों से 53 प्रशिक्षणार्थी भाग ले रहे हैं। इस अवसर पर विशिष्ठ अतिथि संभागीय आयुक्त बीकानेर, श्री नीरज के पवन थे। उन्होंने अपने संबोधन में गोमूत्र व गाय के गोबर के प्रसंस्करण द्वारा जैविक कीटनाशक, फफून्दीनाशक

बनाने, गोबर को कंडों के रूप में नहीं जलाकर खेत में खाद के रूप में उपयोग करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि यद्यपि जैविक खेती में उत्पादन तुलनात्मक दृष्टि में कम होता है परंतु बाजार में भाव अच्छे मिलने के कारण तथा स्वास्थ्य के लिये लाभकारी होने के कारण इसके प्रति रुझान बढ़ रहा है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कुलपति डॉ अरुण कुमार ने कहा कि अधिक उत्पादन लेने की होड़ में अधिक रसायनों का छिड़काव करने से मृदा खराब हो रही है। प्रशिक्षणार्थी इस प्रशिक्षण में जैविक खेती के उत्पादों के प्रमाणीकरण की जानकारी प्राप्त कर अपने उत्पादों को प्रमाणित करवाएं। कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ आई पी सिंह ने कहा कि देश में कुल उत्पाद का मात्र 3% ही अभी जैविक है, स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोगों की मांग को देखते हुए इसे और बढ़ाने की आवश्यकता है। कुलसचिव सुनीता चौधरी ने अपने उद्बोधन में खेती में बायो फर्टिलाइजर एवं पंचगव्य के उपयोग के महत्व पर चर्चा की। सात दिन तक चलने वाले इस प्रशिक्षण में डॉ परमेंद्र सिंह एवं डॉ अमित कुमावत जैविक खेती के विभिन्न आयामों पर प्रायोगिक प्रशिक्षण देंगे।

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