बीकानेर,राजस्थान गो सेवा परिषद और वेटरनरी विश्वविद्यालय के बीच एम ओ यू के तहत गोबर-गौमूत्र के जैविक उत्पादों के प्रसंस्करण पर एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम शनिवार को आयोजित किया गया। वेटरनरी विश्वविद्यालय और राजस्थान गौ-सेवा परिषद के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम में राज्य के पशुविज्ञान केन्द्रों के प्रभारी अधिकारियों और टीचिंग एसोसिएट्स ने भाग लिया। इस अवसर पर प्रशिक्षण कार्यक्रम के मुख्य अतिथि संभागीय आयुक्त डॉ. नीरज के. पवन ने कहा कि गोबर-गोमूत्र प्रसंस्करण प्रशिक्षण एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम है। वेटरनरी विश्वविद्यालय द्वारा इस बाबत राज्य सरकार को भिजवाई गई परियोजना के लिए प्रशासनिक स्तर पर पूरा सहयोग किया जाएगा। उन्होंने कहा कि बीकानेर संभाग को इसके लिए एक मॉडल स्वरूप में विकसित करने के लिए ग्रामीण स्तर पर गौ उत्पादों के जैविक प्रसंस्करण कायों के लिए युवाओं को तैयार करने की जरूरत है। जैविक खाद और गौमूत्र से कीटनाशक बनाने के कार्यों से मानव जीवन पर सकारात्मक परिणाम आयेंगे। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वेटरनरी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सतीश के. गर्ग ने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा राज्य सरकार की मन्जूरी उपरान्त गोबर से खाद और गौमूत्र के जैविक उत्पाद बनाने की एक परियोजना के अंतर्गत वेटरनरी विश्वविद्यालय के राज्य में स्थित कृषि अनुसंधान, पशुविज्ञान केन्द्रों और अन्य संस्थानों में इसकी डेमो यूनिट स्थापित कर किसान और पशुपालकों को प्रेरित किया जाएगा। ऐसे प्रसंस्करण कार्यों से पशुपालकों एवं गौशालाओं को स्वावलम्बी बनाकर पशुपालकों की आय में भी वृद्धि की जा सकेगी। राजस्थान गोसेवा परिषद के राष्ट्रीय संयोजक एवं पूर्व कुलपति, राजुवास प्रो. ए.के. गहलोत ने कहा कि गोबर और गोमूत्र प्रसंस्करण एक सरल तकनीक है और पशुपालक अपने घर या खेत में ऐसी ईकाइयां स्थापित कर लाभ अर्जित कर सकेंगे। यह देश का पहला राज्य होगा जहां इसकी बेहतरीन शुरूआत की जा सकेगी। उन्होंने कहा कि विज्ञान और आस्था के संयोग से गौवंश की आर्थिक उपादेयता सिद्ध की जा सकेगी। वेटरनरी विश्वविद्यालय के प्रसार शिक्षा निदेशक प्रो. राजेश कुमार धूड़िया ने गोबर-गौमूत्र प्रशिक्षण अभियान एवं विश्वविद्यालय के प्रसार कार्यक्रमों की जानकारी प्रदान की। कृषि और उद्यानिकी विशेषज्ञ ड़ॉ. इन्द्र मोहन वर्मा ने वैज्ञानिकों को प्रसंस्करण उपायों की सरल तकनीकों का प्रशिक्षण दिया। परिषद के अध्यक्ष हेम शर्मा ने राजस्थान गो सेवा परिषद के ध्येय के बारे में बताते हुए कहा गोपालक को गोबर और गोमूत्र का पैसा मिले। गोबर से खाद और गोमूत्र से कीट नियंत्रक बनाने का केंद्र गांव गांव में खुले सरकार ऐसी नीति बनाए।राजस्थान गो सेवा परिषद ने भारत सरकार के नीति आयोग, राजस्थान सरकार को गोबर गोमूत्र विपणन की नीति बनाने के प्रस्ताव भेजें । वेटरनरी वि वि के साथ एम ओ यू के तहत राजस्थान गो सेवा परिषद ने यह प्रशिक्षण आयोजित किया है। कार्यक्रम में वेटरनरी कॉलेज के अधिष्ठाता प्रो. आर.के. सिंह, अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो. एस.सी. गोस्वामी, अधिष्ठाता स्नातकोत्तर शिक्षा अध्ययन प्रो. ए.पी. सिंह, निदेशक क्लिनिक्स प्रो. जी.एस. मेहता, निदेशक मानव संसाधन विकास प्रो. बी.एन. श्रृंगी और फैकल्टी सदस्यों सहित राजस्थान गो सेवा परिषद के एडवोकेट अजय पुरोहित, गजेन्द्र सिंह सांखला, अरविंद मिढ्ढा सहित बड़ी संख्या में पशुपालक शामिल हुए। कार्यक्रम का संचालन डॉ. प्रतिष्ठा शर्मा ने किया।
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