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बीकानेर.सनातन धर्म में हर तिथि वार दिन का अपना महत्व है. उन्हीं दिनों में अमावस्या का दिन भी एक विशेष महत्व रखता है. वैसे तो हर तिथि वार के दिन क्या काम करना चाहिए इसको लेकर ध्यान रखना होता है लेकिन अमावस्या पर खासतौर से जो काम नहीं करने होते हैं उनका भी ध्यान रखना जरूरी है. इस बार अमावस्या मंगलवार के दिन पड़ रही है इसलिए इसे भौमवती अमावस्या भी कहा जाता है.

पितृपक्ष की संतुष्टि के लिए जरूरी
दरअसल पूर्वजों की शांति के लिए अमावस्या की तिथि बताई गई है. इस दिन पूर्वजों के लिए नियमित पूजा व हवन करना चाहिए. पितरों के तर्पण और शांति के लिए इस दिन पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए. नदी में स्नान करना संभव नहीं हो तो नहाते वक्त थोड़ा गंगाजल पानी में मिलाकर नहाना चाहिए.

गृह क्लेश निवारण
कहा जाता है कि यदि पितृपक्ष संतुष्ट नहीं हो तो कलेश और बिना वजह विवाद और नकारात्मक वातावरण घर में बना रहता है. अमावस्या के दिन पितरों के निमित्त शांति पाठ हवन करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और घर में सुख शांति रहती है.

ना करें ये काम
अमावस्या के दिन नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव ज्यादा रहता है. ऐसे में पितरों की शांति के लिए इस दिन को शुभ माना जाता है. साथ ही इन बातों का विशेष ध्यान रखें. ताकि आप कई तरह की परेशानियों से बच सकेंगे. इस दिन सात्विक रहते हुए किसी भी प्रकार का मद्यपान नहीं करना चाहिए. साथ ही केवल शाकाहारी भोजन ही करना चाहिए. इस दिन कोई भी नए कार्य की शुरुआत न करें.

यह काम भी करें
अमावस्या के दिन ब्राह्मण को भोजन कराना चाहिए. साथ ही पितरों निमित्त सफेद मिठाई का भोग लगाना चाहिए. इस दिन पीपल के पेड़ पर दीपक जलाना चाहिए. इस दिन भगवान विष्णु की भी पूजा व आराधना करें. मंगलवार के दिन अमावस्या होने से इस दिन भगवान हनुमान जी की भी विशेष पूजा आराधना करनी चाहिए.

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