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बीकानेर। श्री जैन श्वेताम्बर तपागच्छ श्री संघ के तत्वावधान आयोजित आयोजित चातुर्मासिक प्रवचन शृंखला में साध्वी अक्षयदर्शना ने तप की महिमा का बखान किया। रांगड़ी चौक स्थित पौषधशाला में सोमवार को साध्वी अक्षयदर्शना ने कहा कि चातुर्मासिक अवधि में तप-आराधना कर आत्मा को जागृत करें। ज्ञान के साथ ही भावों से भी विद्वान होना जरुरी है। साध्वी सौम्यदर्शना ने कहा कि कुछ कार्य पुरुषार्थ से होते हैं तथा कुछ कार्य भाग्य से होते हैं। जब दोनों से ही नहीं होते हैं तो उस कार्य के लिए तीसरी शक्ति ‘सहयोग’ का होना जरुरी है। किसी जरुरतमंद का सहयोग करें, उसे सहारा दें तथा उसकी सम्पन्नता में सहयोग करें। जब तक हम राग, द्वेष, मोह, लोभ को नहीं हटाएंगे तब तक परमात्मा का हमारे ऊपर ध्यान अथवा प्रभाव नहीं पड़ेगा। हमने जैसा बोया है वैसी फसल काटेंगे, उसमें परमात्मा का कोई दोष नहीं। आज की संघपूजा का लाभ मूलचंद पुष्पादेवी, सुरेन्द्र जैन बद्धाणी परिवार द्वारा लिया गया।

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