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बीकानेर जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ की साध्वीश्री मृगावतीश्रीजी मसा,साध्वीश्री सुरप्रियाश्रीजी.व नित्योदयाश्रीजी के सान्निध्य में सोमवार को को रांगड़ी चौक के सुगनजी महाराज के उपासरे में नाल दादाबाड़ी में सेवाएं देने वाले श्रावक-श्राविकाओं व छतीसगढ़ जगदलपुर से आए गुरु भक्त व गायक मनोज दुग्गड़ व अनिल बुरड़ का अभिनंदन किया गया।
साध्वीवृंद के सान्निध्य में जैन धर्म के 22 वें तीर्थंकर भगवान नेमिनाथ का जन्म कल्याणक व बीकानेर मूल की साध्वीश्री सुरप्रियाश्रीजी का दीक्षा के 36 वर्ष बाद अपनी मातृभूमि चातुर्मास करने व अवतरण दिवस पर श्री सुगनजी महाराज का उपासरा ट्रस्ट, चातुर्मास व्यवस्था समिति और श्रावक-श्राविकाओं की ओर से भाव व गीतों के माध्यम से वंदन अभिनंदन किया जाएगा। पंचमी का सामूहिक एकासना किया जाएगां ।
साध्वीश्री मृगावती ने सोमवार को प्रवचन में कहा कि बदलते आधुनिक,भौतिकवादी व मशीनरी युग में कुल की मर्यादा और संस्कारों की पूंजी आम व्यक्ति के जीवन कोष से समाप्त हो रही है। धर्म, संस्कृति और मान-मर्यादाओं को त्यागकर लोग मिथ्यात्म व दिखावें में जी रहे है। भारतीय धर्म व संस्कृति, जिन शासन के लिए आने वाले कल के हर पल चिंता के साथ चिंतनीय है। भारतीय धर्म संस्कृति के आदर्शों को अक्षुण बनाने के लिए मिथ्यात्म को छोड़़ना दृष्टि को संसार व सृष्टि से हटाकर धर्म, आध्यात्म व उच्च संस्कारों की तरफ लगाना होगा।
उन्होंने एक कहानी के माध्यम से बताया कि वर्तमान में घर, परिवार व समाज में स्वार्थ अधिक प्रभावी होने लग गया,निष्काम सेवा, साधना व भक्ति गौण होने लगी है। लोग काम,क्रोध, लोभ व मोह आदि कषायों के वशीभूत होने से अंतरयात्रा व सम्यक, ज्ञान व दर्शन से दूर हो रहे हैं। हमें कषायों, मिथ्यात्मक को त्यागकर जीवन के असली आत्म-परमात्म प्राप्ति के लक्ष्य से परमात्म की वाणी पर चलना है। सम्यक्, ज्ञान, दर्शन व चारित्र की पालना करनी है। स्वयं अपने स्वभाव, कार्य, व्यवहार को बदलना है तथा वैरभाव, वैमनस्य, आपसी राग-द्वेष को त्यागकर अंतर यात्रा के पथ पर आरुढ़ होना है। नाल पैदल यात्रा में सेवाएं देने वाले व बाहर से आए गुरु भक्तों का अभिनंदन सुगनजी महाराज उपासरा ट्रस्ट के मंत्री रतन लाल नाहटा, कोषाध्यक्ष भीखम चंद बरड़िया ने किया।

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