बीकानेर,ओवर फोर नेशन (hour for naton) के सफाई अभियान में तैस्सीतोरी पार्क, आई जी कोठी, म्यूजियम के सामने सड़क की सफाई की गई। संगठन का क्रांतिकारी प्रयास है। यह काम बतौर जन जाग्रति अर्से से किया जा रहा है। जनता ने इसकी सराहना भी की है। इसमें ज्यादातर वे लोग सफाई करते हैं जिनके घर सफाई करने वाले नौकर लगे हैं। बेशक वे भी लोग नेक भावना से सार्वजनिक स्थलों की रविवार को प्रतीकात्मक रूप से सफाई करते हैं। इसका समाज में अच्छा संदेश भी है। हालांकि कई संगठन, व्यक्ति और संस्थाएं समाज सेवा , नेक कार्य, सफाई अभियान की ओट में कुछ अन्य लाभ देखते हैं। वे खुद का एक्सपोजर, रिलेशनशिप, समाज में पैठ जैसी आकांक्षाएं सेवा कार्य के बदले चाहते हैं। यह निस्वार्थ सेवा नहीं है। इस तरह की चाहत झलकती है। और निर्णयों से प्रमाणित होती है। वैसे तैस्सीतोरी पार्क, आई जी पुलिस कोठी व म्यूजियम के सामने ऐसी गंदगी है नहीं कि ओवर फोर नेशन ( hour for nation) को सफाई अभियान के लिए यह स्थल चयन करना पड़े। बहुत से सार्वजनिक स्थल सफाई की दृष्टि इससे ज्यादा उपेक्षित और जरूरी है। जहां सफाई का वाकय महत्व है और जनता को अच्छा संदेश जाता है। यह अपेक्षाकृत साथ सुथरा और रोजाना ब्यूरोक्रेट की निगाहों वाला क्षेत्र है। नगर निगम की टीम हमेशा यहां तैनात रहती है। यहां सफाई अभियान चलाना दिखावा करने जैसा लगता है। भले ही ओवर फोर नेशन की भावना ऐसी नहीं हों । ऐसे लोग भी हैं जो इसे पब्लिसिटी स्टंट की संज्ञा देते हैं। कोई सोसाइटी में अच्छा काम बिना किसी इतर उद्देश्य से , निस्वार्थ भाव से करता है तो उसकी आलोचना करना पाप है। अगर इस सेवा की आड़ में छुपे हुए अन्य ध्येय के लिए कोई काम करें तो देखने, सुनने, प्रचार पाने के लिए तो ठीक हो सकता है, परंतु वास्तव में वे सेवा नहीं है। ऐसे लोग भी है जो बहुत से सेवा के कार्य चुपचाप कर देते हैं। प्रशंसा की बिल्कुल चाह नहीं होती। सामाजिक संगठन और संस्थाएं की ओर से किए गए नेक कार्य, सेवा, जनहितार्थ कार्य बेशक पुण्यार्थ _ जन हितार्थ ही करते हैं।
कुछेक संगठन के पदाधिकारी जिले में नए आने वाले हर नए अधिकारी का दुपट्टा ओढ़कर, स्मृति चिन्ह भेंटकर और माला पहनाकर सम्मान करते है। उनकी प्रशंसा में तारीफो के पुल बांधते हैंऔर अपने सेवा कार्यों का बखान करते हैं। फिर पूरे कार्यकाल में अपने अच्छे संबंध बताकर भुनाते रहते है। कुछेक संस्थाएं और लोग ऐसे भी हैं उनके सेवा कार्य के पीछे निहितार्थ होते हैं जो निस्वार्थ सेवा के कार्यों की प्रतिष्ठा को धुंधला करते हैं।