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बीकानेर,डा इंद्रेश कुमार जी के मार्गदर्शन में कार्यरत भारत तिब्बत सहयोग मंच जोधपुर प्रान्त, के बीकानेर जिले में मंच के राष्ट्रीय महामंत्री पंकज गोयल के निर्देशानुसार, मंच की प्रकृति संरक्षण प्रकोष्ठ की राष्ट्रीय सहसंयोजिका सुधा आचार्य के नेतृत्व में पतित पावन दलाई लामा के जन्मदिन के उपलक्ष्य में सर्वप्रथम तिब्बती धर्मगुरु 14 वें दलाई लामा के 89 वें जन्मदिवस पर अनंत, अशेष शुभकामनाएं प्रेषित करते हुए स्थानीय महिला मंडल विद्यालय, जूनागढ़ के पीछे, में एक संगोष्ठी आयोजित की गई ।
वर्तमान परिप्रेक्ष्य में भारत तिब्बत की साझा सांस्कृतिक विरासत पर प्रकाश डालते हुए राष्ट्रीय पदाधिकारी सुधा आचार्य ने बताया कि
भारत और तिब्बत हजारों सालों से शांतिपूर्ण पड़ोसियों की तरह रहते आए हैं। किसी भी तिब्बती नागरिक को कैलाश मानसरोवर की यात्रा करने और बोधगया की यात्रा करने के लिए पहले वीज़ा की ज़रूरत नहीं पड़ती थी। सातवीं सदी में पद्म प्रभु द्वारा तिब्बत में बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार के बाद से तिब्बत भारत को अपना गुरु, आर्यभूमि मानने लगा। सदियों से हिमालय भारत का रक्षक रहा है और यह भारत के पारिस्थितिकी तंत्र का केंद्रीय नियंत्रक भी है।
1949 में तिब्बत पर चीनी कब्जे के बाद भारत की सीमाएँ साम्यवादी चीन के संपर्क में आ गईं और सदियों पुराना शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व बिखर गया। हिमालय आज संवेदनशील हो गया है और उसे सुरक्षा की ज़रूरत है। एक शांतिपूर्ण सीमा जिसकी सुरक्षा कुछ प्रतीकात्मक सीमा पुलिस बल के भरोसे होती थी, उसे अचानक उस पर भारी सैन्य बल तैनात करना पड़ा और वर्तमान में उसे हर दिन लगभग 5 करोड़ रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं। सरदार पटेल, बाबा साहेब अंबेडकर, आचार्य कृपलानी, जयप्रकाश नारायण, राम मनोहर लोहिया, अटल बिहारी वाजपेयी जैसे कई महान भारतीय नेताओं ने संसद और संसद के बाहर इस बारे में अपनी चिंताएँ व्यक्त की हैं।
वर्तमान में भारत-तिब्बत सहयोग मंच माननीय इंद्रेश जी के मार्गदर्शन में तिब्बत की आजादी का व्यापक प्रचार-प्रसार पूरे देश में कर रहा है, साथ ही चीन की विस्तारवादी नीतियों को उजागर करने का कार्य भी तीव्र गति से कर रहा है।

1959 में, चीनी सैनिकों द्वारा ल्हासा में तिब्बती राष्ट्रीय विद्रोह के क्रूर दमन के बाद, परम पावन को निर्वासन में भागने के लिए मजबूर होना पड़ा। तब से वे उत्तरी भारत के धर्मशाला में रह रहे हैं।
इसलिए यह आवश्यक है कि हम चीन की साम्यवादी नीति का पुरजोर विरोध करें और तिब्बत को आजाद कारण क्योंकि तिब्बत की आजादी भारत की सुरक्षा है।
संगोष्ठी में विद्यालय प्रधानाध्यापिका सुहानी शर्मा, अध्यापिका दीप कंवर, अनीता व्यास, निशा स्वामी, नानू कंवर, ममता शर्मा, दीप्ति, सुमन बिश्नोई, सपना, अनीता सोलंकी, नीलम प्रजापत, प्रतिभा, रेनू प्रजापत, पूजा स्वामी सहित अनेक गणमान्य बंधु उपस्थित रहे।

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