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बीकानेर रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म संख्या एक पर उरमूल ट्रस्ट बीकानेर द्वारा संचालित रेलवे चाइल्ड लाईन के सराहनीय प्रयास से एक साथ तीन गुमशुदा बच्चे मिले जिन्हें बाल कल्याण समिति के आदेशानुसार आश्रय दिलवाया गया है। दोपहर में दादर ट्रेन आगमन के समय पर आरपीएफ पुलिस को कंट्रोल द्वारा सूचना मिली कि दादर ट्रेन में एक डरी सहमी सी नाबालिग बच्ची है, जो अकेली गुमशुदा प्रतीत हो रही है, जिस पर आरपीएफ पुलिस एएसआई नन्द किशोर ने चाइल्ड लाईन समन्वयक सरिता राठौड़ से सम्पर्क कर बच्ची को अपने संरक्षण में लेकर चाइल्ड लाईन समन्वयक सरिता राठौड़, व लक्ष्मी स्वामी के सुपुर्द किया।

और ऐसे ही लालगढ़ रेलवे स्टेशन पर चाइल्ड लाईन टीम वालियंटर पिंकी जनागल व लक्ष्मी नारायण स्वामी को आऊटरिच के दौरान एक साथ दो गुमशुदा अकेले बच्चे मिले जिनको चाइल्ड लाईन कार्यालय लाकर रेलवे चाइल्ड लाईन काउंसलर श्रीमती परवीन चौहान द्वारा बच्चों से पूछताछ एवं काउंसिलिंग करने पर दादर ट्रेन में मिली सोलह वर्षीय बच्ची ने अपनी पहचान आमिना पुत्री शांति लाल निवासी- गांव तहसील मीरसागर गुजरात की होना बताया और लालगढ़ रेलवे स्टेशन पर मिले दो गुमशुदा बच्चे क्रमश नूर आलम पुत्र युसुफ उम्र- 12 साल एंव समीर पुत्र नूरबहार निवासी गांव बरभट्टा तहसील किशनगंज जिला पूर्णिया बिहार के रहने वाले बताये है।

उक्त तीनो बच्चों को स्टेशन अधीक्षक जालम सिंह पुरोहित के दिशा निर्देशन में चाइल्ड लाईन टीम समन्वयक सरिता राठौड़ व टीम सदस्य विशाल सैनी द्वारा बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश किया गया, जहां से बाल कल्याण समिति द्वारा बच्चों के परिवारजन से सम्पर्क होने तक, बच्ची आमिना को बालिका गृह में और दोनों बच्चे नूर आलम व समीर को बीकानेर के किशोर गृह में अस्थायी आश्रय दिलवाया गया है।।

रेलवे चाइल्ड लाईन के इस्माईल दाऊदी ने बताया कि बच्ची आमिना के परिवारजन से सम्पर्क कर लिया गया है, जिनके आगमन पर बच्ची को परिवार के सुपुर्द करवाने का प्रयास किया जाएगा।

ज्ञात रहे कि बीकानेर रेलवे स्टेशन पर उरमूल ट्रस्ट द्वारा संचालित चाइल्ड हेल्प डेस्क द्वारा सेकड़ो गुमशुदा बच्चों को उनके परिवार से मिलवा कर ऐतिहासिक सफलता का कीर्तिमान स्थापित किया है।। आज मिले तीनों गुमशुदा बच्चों की मदद में रेलवे चाइल्ड लाईन टीम का काफी सराहनीय कार्य रहा जिसमें टीम सदस्य औम प्रकाश रामावत, सुनील विश्नोई और मुकेश सिंह राजपुरोहित का विशेष सहयोग रहा।

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