बीकानेर,होली के आगाज के साथ ही महिलाओं एवं कुंवारी कन्याओं में गणगौर पूजन को लेकर काफी उत्साह दिखाई देने लगता है। घर घर में बीकानेर की प्रसिद्ध काष्ठ कला से तैयार मूर्तियां गणगौर,ईसर,भाईया की सार सम्भाल शुरू हो जाती है। रंग पेंट, आभूषण, वस्त्र से सजावट कर उन्हें पूजने की तैयारी चालू हो जाती है।
कला एवं संस्कृति को संजोए रखने के उद्देश्य को लेकर तीन दिवसीय गणगौर मेला एवं उत्सव का आयोजन स्वामियों के मौहले में रखा गया है। जिसमें गणगौर, ईसर, भाईया की विभिन्न प्रकार की रंग बिरंगी वेशभूषा, आभूषण, कलाकृतियां प्रदर्शित की जायेगी। क्रियेटिव महिलाओं द्वारा हस्त निर्मित वेशभूषा आभूषण एवं काष्ठ से की गणगौरे,ईसर भाईया तथा मथेरण कला से तैयार सौ से अधिक गवरजा सपरिवार प्रदर्शित कि जाएगी।
मेला आयोजक जयश्री मूंधड़ा द्वारा कृष्ण जन्माष्टमी, होली ,दीपावली व अन्य उत्सवों के लिए हस्त निर्मित वेशभूषा, आभूषण सजावट की सामग्री आदि तैयार करवायाकर महिलाओं को रोजगार उपलब्ध व स्वावलंबी बनाने में मदद करती है।