बीकानेर,राजस्थानी युवा समिति ने राजस्थानी भाषा को अनुच्छेद 345 को आधार बनाकर राज्य भाषा बनाने के मुद्दे को लेकर बजट आने के दूसरे दिन ही गोविंद देवजी मंदिर के प्रांगण में हजारों की संख्या में एकजुट हुए.
मुद्दे की गंभीरता देखते हुए राजस्थान (Rajasthan) सरकार के मुख्य सचेतक महेश जोशी ज्ञापन लेने मंदिर पहुंचे और युवाओ को सरकार की तरफ से आश्वस्त किया.
राजस्थानी युवा समिति के राष्ट्रीय सलाहकार राजवीर सिंह चलकोई ने कहा कि ये सरकार खुद को राजा मान बैठी है और युवाओं के साथ अच्छा आचरण नहीं कर रही इसलिये युवा समिति और युवाओं की ये भीड़ जयपुर (jaipur) के असली राजा गोविंद देवजी को ज्ञापन देने पहुंची है. राजस्थानी युवा समिति के आह्वान पर गोविंद देवजी मंदिर में एकत्र हुए युवाओं में सोशल मीडिया (Media) इंफ्लुएंसर बनवारी लाल गोस्वामी- पंकज सोनी, संजय बिरख, राजस्थान (Rajasthan) की सातों मुख्य यूनिवर्सिटीज के छात्रनेता, पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष रवीन्द्र सिंह भाटी, जे.एन.वी. यू. अध्यक्ष, एम.एल.एस.यू. के कुलदीप सुवावत, महासचिव राजस्थान (Rajasthan) विश्विद्यालय अरविंद जाझड़ा, संस्कृत कॉलेज की अध्यक्ष किरण प्रजापत, महारानी कॉलेज की छात्रनेता अनुष्का माहेश्वरी एवं कई छात्रनेता पहुंचे. जोधपुर (Jodhpur) , जयपुर (jaipur), बीकानेर, उदयपुर (Udaipur), कोटा (kota), चुरू, अजमेर (Ajmer) आदि जिलों के युवा भी ज्ञापन देने पहुंचे.
सभी ने राजस्थानी भाषा को राज्य भाषा का दर्जा दिए जाने की मांग की. हर जिले ‘हेलो मायड़ भासा रौ’ के नाम से इसके लिए समर्थन जुटाया जा रहा है. ट्वीटर पर भी राजस्थानीमांगेराजभासा हैशटैग को लगभग 2 लाख से अधिक लोगों ने ट्वीट कर ट्रेंडिंग में ला दिया है. राजस्थानी युवा समिति ने कहा है कि अगर सरकार वक्त रहते नहीं चेती तो आने वाले वक्त में युवा बूथ लेवल पर सरकार की खिलाफत करेंगे.
समिति संस्थापक हिमान्शु शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री (Chief Minister) अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) को अगर सरकार रिपीट करनी है तो बिना शर्त राजस्थानी को राजभाषा बनाना पड़ेगा. राजस्थानी युवा समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष अरुण राजपुरोहित ने बताया कि राजस्थानी को राजभाषा का दर्जा मिलने से रोजगार में बढ़ोतरी होगी, भाषा की मान्यता से कई फायदे जुड़े हैं, सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे प्रदेश के स्थानीय युवाओं को रोजगार के भरपूर अवसर मिलेंगे. कानूनी रूप से अधिकृत भाषा नहीं होने की वजह से अभी तक भाषा के आधार पर रोजगार नहीं मिल पा रहे हैं.
जयपुर (jaipur) प्रभारी शुभम रेवाड़ ने बताया यदि ये सरकार युवाओं से अदावत नहीं चाहती तो अनुच्छेद 345 के आधार पर राज्य सरकार (State government) इसी सत्र में कानून बनाकर राजस्थानी को राजभाषा का दर्जा दे सकती है. समिति का बीकानेर (Bikaner)प्रभार देख रहे रामवतार ने बताया यदि सरकार की नीयत हो तो राज्य सरकार (State government) विधानसभा में विधेयक पेश करके इस संबंध में कानून बनाकर भी राजस्थानी भाषा को राजभाषा का दर्जा दे सकती है.
समिति उपाध्यक्ष प्रवीण मकवाणा ने बताया देश की कई राज्य सरकारों ने अपने क्षेत्र की अलग-अलग भाषाओं को राजभाषा का दर्जा दिया है. राजवीर ने बताया बृज, मेवाती, हाड़ौती, मारवाड़ी ही नहीं वो सारी बोलियां जो 2003 के प्रस्ताव में इसी सरकार ने केंद्र को भेजी थी वो सारी मिलकर ही राजस्थानी बनाती है और राजस्थानी युवा समिति सरकार से वही प्रस्ताव राज्य में लागू करने की मांग कर रही है.