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बीकानेर,ज्यादातर घरों में चूहों का आना-जाना आम बात है. लगातार चूहों के घर में आने से कई बार लोग परेशान हो जाते हैं, उसे बाहर का रास्ता दिखाने के लिए तरह-तरह की योजनाएं बनाते हैं लेकिन भारत में एक ऐसी भी जगह है, जहां पर चूहों को भगवान की तरह पूजा जाता है.

भारत में अनेकों मंदिर हैं और हर एक मंदिर की अपनी एक विशेषता है. ऐसा ही एक बेहद अनोखा मंदिर राजस्थान के बीकानेर में है जिसे करणी माता का मंदिर  कहा जाता है. कई जगहों पर इस मंदिर को मूषक के मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इस मंदिर में करीब 25000 से ज्यादा चूहे मौजूद हैं. इन चूहों को माता की संतान कहा जाता है.

मंदिर में चलने के हैं अलग नियम

इस मंदिर में दर्शन के दौरान भक्तों को कुछ खास निर्देश दिए जाते हैं, जैसे मंदिर में चलते समय पैरों को घसीटकर चलना होता है, क्योंकि पैर उठाकर चलने से चूहों के पैरों के नीचे आने का डर होता है जिससे वह मर सकते हैं या घायल हो सकते हैं. इसलिए यहां चलते हुए पैरों को जमीन से उठाने की मनाही होती है. भारत का यह अनोखा मंदिर बीकानेर से करीब 30 किलोमीटर दूर देशनोक में स्थित है. चूहों के पैरों के नीचे आने को बहुत अशुभ माना जाता है. आपको बता दें कि करणी माता को मां जगदंबा के रूप में भी जाना जाता है.

अनोखे मंदिर की अद्भुत कहानी

इस अद्भुत मंदिर में काले चूहों के अलावा कुछ सफेद चूहे भी पाए जाते हैं. इन सफेद चूहों को बेहद पवित्र माना जाता है. इस मंदिर से जुड़ी एक कहानी बेहद प्रचलित है कि जब करणी माता की संतान, उनके पति और उनकी बहन का पुत्र लक्ष्मण कपिल सरोवर में डूब गए और उनकी मृत्यु हो गई. इसके बाद माता ने यमराज से बहुत प्रार्थना की कि उनके पुत्र को जीवित कर दिया जाए जिसके बाद यमराज ने विवश होकर उन्हें पुन: जीवन दिया लेकिन उनका जीवन चूहों के रूप में शुरू हुआ.

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