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बीकानेर पत्रिका के चतुर्थ अंक का ऑनलाइन लोकार्पण किया गया जिसकी अध्यक्षता हिंदी और राजथानी के प्रख्यात साहित्यकार एंव केंद्रीय साहित्य अकादमी में राजस्थानी भाषा साहित्य संयोजक मधु आचार्य आशावादी ने की । लोकार्पण कार्यक्रम में प्रसिद्ध कवि समालोचक डॉ मदन गोपाल लड्ढा ने समीक्षा व डॉ मोनिका गौड़ ने प्रस्तावना प्रस्तुत की ।

कार्यक्रम का शुभारंभ साहित्य बीकानेर के संपादक पूनम चंद गोदारा ने साहित्य बीकानेर पत्रिका के अब तक प्रकाशित अंको एवं साहित्यिक गतिविधियों के साथ किया ।

लेखिका मोनिका गौड़ ने अंक की प्रस्तावना रखते हुए किताब के अहम पहलूओं को उजागर करते हुए कहा कि जब हम आज के दौर में यह कहते है कि आज का युवा सिर्फ ग्लेमर के पीछे भागता और शब्द का महत्व नही जानता है, ब्रह्म का महत्व नही जानता है ऐसे समय साहित्य बीकानेर के तीनों युवा संपादक साहित्य सृजन के साथ-साथ सदसाहित्य को बिना किसी जोड़-तोड़ और निष्पक्षता से पाठकों के सामने लाने का महत्वपूर्ण कार्य कर रहे है ।

डॉ मदन गोपाल लड्ढा ने कवितांक की समीक्षा करते हुए कहा कि इस कोरोना काल में जहां साहित्य के प्रकाशन और प्रिंट मीडिया पर संकट के बादल मंडराए हुए है, पत्र-पत्रिकाओं के प्रकाशन एवं वितरण का कार्य प्रभावित हुआ है ऐसे में यह प्रयास हिंदी कविता के लिए बड़ा काम है । बीकानेर से प्रकाशित वातायन पत्रिका ने जिस तरह देश भर में ख्याति अर्जित की उसी कड़ी में साहित्य बीकानेर ने हिंदी पट्टी के 50 अहम रचनाकार जिनमें नगरीय, ग्रामीण एवम वंचित क्षेत्रों के रचनाकारों को शामिल कर उल्लेखनीय काम किया है ।

कार्यक्रम के अध्यक्ष मधु आचार्य आशावादी ने कहा कि जिस दौर में जब मानवीय संवेदनाओं पर एक बड़ा संकट है ऐसे दौर में इस पत्रिका के इस अंक से जो काम इन तीनों युवाओं ने किया है, वह साहित्य के लिए बीकानेर की धरा से एक बड़ा भागीरथी प्रयास है । पिछले तीन दशक में साहित्य हाशिए पर रहा है । साहित्य वह स्थान प्राप्त नही कर पाया जो उसे करना चाहिए था । ऐसे दौर में जब कोई इस तरह का कार्य करता है तो निश्चित ही दूषित हो चुके पर्यारण में एक शुद्ध शीतल झोंका सा देता है ।
आशावादी ने कहा कि अतीत में जब हम साहित्य का विवेचन करते है तो पाते हैं कि चाहे कहानी हो, नाटक हो, उपन्यास हो, कविता हो सभी को काव्य ही कहा जाता है । मैंने अपने 4 दशक के अध्ययन में यह महसूस किया है कि साहित्य विधाओं में सर्वाधिक दुष्कर विधा काव्य की है क्योंकि विराट को लघुता में रचने का कौशल काव्य में देखने को मिलता है ।

कार्यक्रम में किताब के सम्पादकीय का वाचन गीतकार, कवि देवीलाल महिया ने किया और संचालन की जिम्मेदारी सोनू लोहमरोड ने निभाई ।

कार्यक्रम में राजूराम बिजारणिया, अनिल अबूझ, देवेंद्र चौधरी, सतीश सम्यक, राजेन्द्र कुमार गरुवा, मनमीत सोनी, प्रियंका बेनीवाल सहित देश भर से अनेक रचनाकार एवं श्रोता इस इस आयोजन के साक्षी बने ।

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