बीकानेर,लम्पि की मृत गायों को सबसे पहले जाेड़बीड़ गिद्ध संरक्षण क्षेत्र में खुले में फेंक दिया गया। मीडिया ने जब इस मामले का खुलासा किया तो उसने दिन में मृत गायों को रेत से ढकने की कोशिश की।रात के अंधेरे में नगर निगम ने गड्ढों को भरना शुरू किया। इस बीच मीडिया की टीम मौके पर पहुंची तो कर्मचारियों ने गेट बंद कर दिया। निगम कश्मिनर के आने पर मीडिया टीम को जाने दिया।
लम्पी के कारण जिले में अब तक 50 हजार गायाें की माैत हाे चुकी है। जाेड़बीड़ को 2010 के आसपास गिद्ध संरक्षण क्षेत्र घोषित किया गया था। यह सबसे बड़ा खुला डंपिंग यार्ड है, जहां पूरे शहर में मरे हुए जानवरों को डंप किया जाता है। पक्षी और जंगली जानवर जैसे गिद्ध, चील खाकर अपनी भूख मिटाते हैं। सामान्य दिनों में यहां रोजाना 50 से 80 मृत गायें लाई जाती थीं, लेकिन जब से लम्पी का संक्रमण फैला है, दो माह से प्रतिदिन 100 से 200 मृत गायों को यहां फेंका जा रहा है। स्थिति यह है कि सांसी समाज के लोग इन गोवंशों की खाल तक नहीं उतार सकते। क्योंकि मरी हुई गायों की त्वचा में छेद होते हैं। इसलिए पक्षी भी इन गोवंशों से दूरी बना रहे हैं। अब तक छह हजार से ज्यादा मृत गायों को वहां फेंका जा चुका है।