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बीकानेर,बीकानेर के रहने वाला कलाकार मोना सरदार पिछले तीन दशक से अधिक समय से अपनी कुरेचन कला को देश और दुनिया तक पहुंचा चुके हैं. इसमे सबसे खास बात ये है कि डूडी की इस कला में मानवता और मानवीय संवेदनाओ से भरा चित्रण है.

ग्रामीण जीवन के रंग है और संदेश देती हुई पेंटिंग है.

डूडी ने बहुत कम उम्र में ही बड़ा नाम किया अपनी आधुनिक कला के जरिए हमेशा वर्तमान में फैले यथार्थ का चित्रण करने की कोशिश की है. कला के जरिए सामाजिक सरोकार का संदेश देना हमेशा से ही मोना सरदार का लक्ष्य रहा है, जहां आस पास के वातावरण ,अच्छी बुरी घटनाओं और अभिव्यक्ति वो भी कैनवास पर उकेरकर दिल को छू जाने वाली और बेसरहा के दर्द को बयान करती हुई पेंटिंग बनाते है. इन्हें कुरेचन पद्धति के अविष्कार के तौर कर भी अपनी पहचान बनाई. कलाकार डूडी ने उदयपुर से एमए ड्राइंग एवं पेंटिंग की शिक्षा की, लेकिन कुछ अलग करने की चाह के चलते अपनी ही अनूठी कला पद्धति का निर्माण कर दिया. अपनी इस कला के जरिए देश और दुनिया के बड़े कलाकारों में अपना स्थान बनाया.

मोना सरदार इटली के कलाकार इंजो मरीनो और विश्वविख्यात कलाकार स्व,गोपाल व्यास जैसे कलाकारों से बेहद प्रभावित है. पिछले दिनों बीकानेर आर्ट फेस्टिवल से लेकर इटली तक दूदी की कला को बेहद सराहा गया. ऐसे में तीन बार इटली की फ्री इंटरनेशनल आर्ट गैलरी द्वारा सम्मान भी मिला, तो वही दिल्ली आई फेक्स और ललित कला अकादमी के बड़े कैंप में भी डूडी की कला की धूम देखने को मिली. हाल ही में देश में सबसे बड़े संस्कृति कला महोत्सव में आयोजित हुए आर्ट वर्कशॉप मे का उद्घाटन राष्ट्रपति ने किया, जहां भी डूडी के काम को बेहद पसंद किया गया.

डूडी कहते है कि यह एक प्रकार की नई छपा कला है, जिसको नए रूप में कम समय और कम पैसों की लागत से बनाया जा सकता है. इसमे केवल सेविंग ब्लेड और ऑयल कलर ही काम में आते हैं. 2 या 3 मिनट में एक सुंदर चित्र बन जाता है, जिसमे लायन,लिथोग्राफ और ईचिंग जैसा प्रभाव आ जाता है. बी,एफ,ए और एम,एफ, ए फाइन आर्ट पाठयकर्म में यदि इस नई तकनीक को काम में ले तो छापा कला के इतिहास में तहलका मच सकता है. क्योंकि एक lino cut प्रिंट तैयार होने में 2 दिन का समय लगता है, उससे कही बेहतरीन रंगीन प्रिंट बिना महंगी मशीनों के हाथ से 3 मिनट में तैयार हो जाता है.

इन दिनों इस नई तकनीकी में एक और प्रिंट के अलावा फोटो पेपर पर पानी लगाकर सेविंग ब्लेड से कुरेद कर कई प्रकार के प्रभाव ला रहा हूं. ऐसे में मेरी इस कला को दुनिया में लोग अपनाए और उस पर प्रयोग करे यही मेरी कोशिश है.

डूडी अपनी इस कला को नई पीढ़ी को सीखा रहे बच्चो के जीवन में रंग भर रहे है. वहीं, बात करें तो डूडी न केवल इस अनोखी कुरेचन कला के जनक हैं. बल्कि बीकानेर की कला को देश और दुनिया में पहुंचाने वाले कलाकारों में बड़ा स्थान रखने वाले उन चुनिंदा लोगो में शामिल है, जिन्होंने कला को कला के रूप में दुनिया के सामने रखा ना की व्यावसायिकरण किया. आज डूडी की इसी क्षमता ने डूडी को अलग पहचान दिलाई है.

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