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बीकानेर,सूची में निसंदेह चंद जमीनी कार्यकर्ताओं को शामिल कर इतिश्री अवश्य की गई है। इस सूची में लगता है, कुछ लंबे समय से व्यक्ति विशेष की भक्ति से यथावत जमें हुऐ हैं, तो चाटुकारिता को भी स्थान दिया गया, तो कुछ बेहतरीन किस्म के कार्यकर्ता को नजरंदाज करना नुकसानदायक हो सकता है, एक समाज विशेष को ज्यादा तरजीह देने की कोशिश कर लाभ लेने कि कोशिश कि गई जो शुभ कम अशुभ अधिक है, तो इसी समाज के अच्छे व पुराने जमीनी स्तर के बेहतर कार्यकर्ता को नजरंदाज करना भी लाभकारी नहीं कहा जा सकता है, तो जातीय समीकरण साधने की कोशिश में कुछ को नजरंदाज करना अनुचित साबित होगा । लगता है। एक तरफ सरकार अच्छी घोषणाएं कर चुनाव में आगे बढ़ना चाहती है। तो दुसरी तरफ संगठन कार्यकर्ताओं को नाराज कर इस कोशिश को धुमिल करने में कसर नहीं छोड़ना चाहती, आखिर कांग्रेस किस रीतिनीति के साथ आगे बढ़ना व सरकार रिपीट का दावा कर रही है। कार्यकर्ता समझ ही नहीं पा रहा लगता है कांग्रेस दिशा पकड़ते पकड़ते दिशाहीन हो रही जाती जा रही है। जिसे कांग्रेस लाभ की स्थिति समझ रहीं हैं, लाभकारी होने के वावजूद पिछड़ते हुए नजर आ रही है। कांग्रेस सही दिशा से भटकाने वाले कोन लोग हैं। कांग्रेस के आला अधिकारी इसके उत्तरदाई है। चापलूस, चाटुकारों सहित मुखवीर किस्म लोगों से बहार निकलना ही नहीं चाहते या फिर यह लोग???????? लगता है। कांग्रेस भगवान भरोसे चल नहीं घीस रहीं हैं। हों सकता कुछ भक्तों को हमारे उपरोक्त कथन सही नहीं लगे, लेकिन यही कटु सत्य है।

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