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बीकानेर,रांगड़ी चैक स्थित तपागच्छिय पौषधशाला में आज के बाद से प्रवचन की सरिता रुकने, गुरुजनों के पुनः विहार पर जाने की वेदना के चलते माहौल अत्यंत भावविह्लि था। आज रूंधे गले से श्रावक श्राविकाओं ने गुरु वंदन किया। सैकड़ो श्रावक श्राविकाओं ने मिच्छामि खमासना, गुरु प्रार्थना से आज के आयोजन की शुरुआत की। पिछले चार माह से चल रहे पौषधशाला में आज अंतिम दिवस का चातुर्मासीय प्रवचन रहा।

कार्तिक चैदहस को आराधना साधना का दिवस के रूप में मनाया। पुष्पेन्द्र म सा द्वारा नवकार मंत्र, गुरु वंदन के साथ मंगलचरण से चैमासा आयोजन के अंतिम दिवस के आयोजन की शुरूआत की गई। उसके बाद प्रखर प्रवचनकार श्रृताननंद म सा ने संक्षिप्त मे आज का प्रवचन देते हुए हरिभद्र सूरीश्वरद्वारा मोक्ष के लिए दिय उपदेशानुसार मनुष्य जीव को मोक्ष प्राप्त करने के लिए सर्वश्रेष्ठ जीवन बताया जिसमे वो आक्रमण भी कर सकता है तो प्रतिक्रमण, अतिक्रमण भी कर सकता है। अर्थात अगर मनुष्य अज्ञानतावश गलत आचरण करता है, हिसंा करता है अर्थात आक्रमण करता है लेकिन प्रतिक्रमण के मार्ग मे चलकर इसको सुधार लेता है, भलाई करना शुरू कर देता है तो अति क्रमण से मोक्ष भी हासिल कर सकते हे। अंत में पौढ़सी का वाचन किया गया।

आत्मानंद जैन सभा चातुर्मास समिति के सुरेंद्र बद्धानी ने चातुर्मास में सहयोग करने वाले गौडी पाश्र्वनाथ मंदिर ट्रस्ट, एसजेपीएस स्कूल, भामाशाह लीलमचंद सिपानी, सूरज भवन, सरोज बेन कोचर, पदम प्रभु ट्रस्ट के ट्रस्टियों, आयंबिलशाला, डाॅ बीसी घीया, डाॅ संजय कोचर, डाॅ पिंटू नाहटा, सुहानी देवी चिकित्सालय, ओसवाल साॅप परिवार ग्रुप जयपुर, पनीबाई उपासरा का आभार व्यक्त किया।

शांतिलाल हनुजी कोचर ने बताया कि प्रचवन उपरांत बड़ी संख्या में श्रावक श्राविकाओं ने विदाई भाव व्यक्त किये जिनमे सामुहिक रूप से रुक जाओ गुरुवर, मत जाओ, विनती चरणों में करते हैं, आप छोड़ के जाओगे सब को रुलाओगे विदाई गीत गाय। गंगाशहर से नियमित आने वाली श्राविका मधु बेन ने गुरुवर जाए, सहा न जाए पर अपनी काव्यधारा से, अनिता ने संतो की कभी विदाई नहीं होती, जुदाई नहीं होती के काव्य गीत से अपने भाव बताएं। गीतकार महेंद्र जैन ने पर अपनी गम्भीर आवाज में गुरु विदाई गीत बिलखते छोड़ कर गुरुवर कर रहे प्रस्थान, चंचल हवाएं क्यों खामोश हे, गुरुवर सा संत मिल जाए, बीकानेर जैसा संघ मिल जाए आसान नहीं, चैमासे मे बिकाना पावन हो गया प्रस्तुत किया।

प्रभा देवी, नीलम देवी, विनोद देवी द्वारा विभिन्न प्रतिभागीयों का बहुमान किया गया जिनमें निकिता कोचर, सलोनी कोचर, अरुणा स्वर्णसुषम डागा, सरोज एस कोचर, मधुजी कोचर, स्वीटी कोचर, सुष्मिता मयूर कोचर, प्रदीप बेद, संतोष के कोचर, जयंती मिनी को रजत मुद्रिका तथा स्वर्ण मुद्रिका से कोमल बेद का बहुमान किया। शांतिलाल कोचर, सुरेन्द्र बद्धानि, शांतिलाल भंसाली द्वारा छायाकार गौतम मारू का बहुमान किया। इस दौरान चार्तुमास आयोजन के चार महिनों की आॅडियो वीडियो से निर्मित विशिष्ट झलकियाँ दिखाई गई।

कार्यक्रम के अंत में श्रुतानंदजी महाराज सा ने अपनी भावनाएं कविता ‘चंद रोज पुरानी लगती हे ये बात, जब पहुंचे बीकानेर, गर्म शहर में शीतल से लोग मिले, संघ जिससे मेरा दिल मिले।। हनुजी, सुरेंद्र , शांतिलाल, विनोद देवी, दिल में यूंही रहेंगे हरदम आप, त्याग तपस्या निर्णय जाप, सब ने खूब खपाए, तब ही सबके चेहरे पर मायूसी सी छाई।। फिर से वापस आने का मेरा मन रहेगा , मेरे श्रुति पट पर सकल संघ याद रहेगा।।’ के रूप में पेश कर पुनः आशीर्वचन दिया।

आत्मानंद जैन सभा चातुर्मास आयोजन समिति के माणिकचंद, शांतिलाल सेठिया परिवार, पुष्पादेवी सुरेंद्र कुमार बद्धानी कोचर परिवार, भंवरलाल, सुंदरलाल, शांतिलाल, देवेंद्र कोचर परिवार, रिखबचंद शांतिलाल भंसाली परिवार, विनोद देवी चंद्र कुमार कोचर परिवार द्वारा ट्रस्ट का सभी श्रावक श्राविकाओं का आभार व्यक्त करते हुए सफल चार्तुमास पर प्रशंसार जाहिी की।

पौषधशाला में दोपहर 2 बजे सामुहिक रूप से देव वंदन किया गया।
चातुर्मास समापन के बाद कार्तिक पुर्णिमा के अवसर पर सुबह सात बजे से चातुर्मास परिर्वतन किया जायेगा जिसके तहत पौषधशाला से समिति के अध्यक्ष शांलिलाल सेठिया के निवास स्थान पर सकल संघ जायेगा तथा वहां पर एक घंटे का पट्ट दर्शन, भक्तांबर पाठ तथा नवकारसी का आयोजन होगा। इसके बाद 16 को हनुजी कोचर के निवास पर पुनः पट्ट दर्शन, भक्तांबर पाठ तथा नवकारसी का आयोजन होगा तथा जैन मुनियों की बैदो के निवास पर स्थिरता रहेगी। आज की आत्मानंद जैन सभा चार्तुमास समिति द्वारा प्रभावना की गई।

सकल संघ क आये सभी श्रावक श्राविकाओं, गुरुजनों का आभार मंदिर श्री पदम प्रभु ट्रस्ट के अजय बैद द्वारा किया गया।

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