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बीकानेर। सनातन धर्म यात्रा के प्रथम पड़ाव के तृतीय दिवस सोमवार को कथा करते हुए भाई संतोष सागर ने कहा कि हर व्यक्ति के भीतर मनुष्यत्व के प्रश्न उपस्थित होने चाहिए। मैं कौन हूँ, यह जानना ही सत्य है। अध्यात्म मार्ग सरल नहीं है, परन्तु यह कायरों का मार्ग भी नहीं है। यह सत्य को जानने का मार्ग है। यह पिपासुओं के लिए है। अध्यात्म की प्यास होनी आवश्यक है। यहां तीन दिवस से पारीक चौक स्थित रामानाथ सदन में सनातन धर्म यात्रा के समूचे दिन आयोजन चल रहे हैं। प्रातः यज्ञ तथा दोपहर में भगवद् कथा चल रही है, उन्होंने कहा- भगवद् कथा को सुनने हनुमान जी महाराज अवश्य आते हैं। उनको सदैव भगवद् कथा की प्यास रहती है। कथा से जीवन में क्रान्ति घटित होनी चाहिए। दिशा तय हो जानी चाहिए कि मुझे चलना किस ओर है। मन मार्जनम् नित्यम्। निरंतर मन को मांजते रहें। भागवत जीवन के रहस्यों को खोलता है। भागवत पूरा विज्ञान है।

कथा के उपरांत ग्रंथी तारासिंह ने कहा कि यह एक सांझा उपदेश है। गुरु की वाणी बार बार श्रवण करें। वह परमात्मा निरवैर है। उस परमात्मा की प्राप्ति गुरु कृपा से प्राप्त होती है। गुरु बादशाह कहते हैं कि जिसके हृदय में राम का स्मरण नहीं, उसने अपना जन्म व्यर्थ गंवा दिया। भगवान से नहीं जुड़ता उसके हालात शुकर- श्वान की भांति हैं। परमेश्वर के नाम में ताकत है। गुरु ही राह दिखाते हैं।

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