









बीकानेर,ज्योतिषाचार्य पं. बाबूलाल शास्त्री ज्योतिष बोध संस्थान के तत्वावधान में छोटी काशी बीकानेर में 21 कुंडात्मक रुद्रचंडी महायज्ञ एवं सवा करोड़ शिव पंचाक्षरी मंत्र का अनुष्ठान तीसरे दिन भी जारी रहा। पं. राजेन्द्र किराड़ू के आचार्यत्व में हर्षोल्लाव तालाब अमरेश्वर महादेव मंदिर में 30 अक्टूबर 2025 से प्रारंभ हुआ यह अनुष्ठान 3 नवम्बर 2025 तक चलेगा। कार्यक्रम में 131 वैदिक ब्राह्मण एवं 25 यजमान दम्पती मंत्रजाप एवं महायज्ञ में आहुतियां दे रहे हैं। पं. राजेन्द्र किराड़ू ने बताया कि प्रात:काल मंडप पूजन में सर्वप्रथम गणेश पूजन, षोडशमातृका, योगिनी वास्तु, क्षेत्रपाल भैरव, सूर्यादि नवग्रह, सर्वेतोभद्र मंडल एवं प्रधान शिव व शक्ति का पूजन, ऋग्वेद द्वार, यजुर्वेद द्वार, सामवेद द्वार, अथर्ववेद द्वार पूजन, तोरण देवता पूजन के साथ सामूहिक रूप से रुद्राभिषेक एवं शिव महिम्मन आदि स्तोत्र का पाठ किया जा रहा है। शनिवार को अमरेश्वर महादेव का सहस्त्रार्चन में एक हजार बिल्व पत्र व दुग्धाभिषेक भी किया गया।
कार्यक्रम में शिवबाड़ी शिवमठ के अधिष्ठाता संवित् श्री विमर्शानंदगिरि महाराज का आतिथ्य रहा। श्री विमर्शानंद गिरि महाराज ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि कलिकाल में ब्राह्मणों का यह दायित्व भी बनता है कि वे जन-जन को धर्म के मार्ग पर चलने की सीख दें। जप-तप और यज्ञ के माध्यम से ही धर्म-संस्कारों को जीवित रखा जा सकता है। पं. राजेन्द्र किराड़ू ने रुद्रचंडी महायज्ञ और शिव पंचाक्षरी मंत्र की महत्ता बताई। शिव पुराण के अनुसार शिव पंचाक्षरी मंत्र का जाप करने से धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है। शिव का अर्थ है कल्याण। अत: एक बार भी शिव का नाम लेने से कल्याण होता है और इस अनुष्ठान में सवा करोड़ शिव पंचाक्षरी मंत्र का जाप होगा। शिव के जप से शारीरिक, मानसिक और आर्थिक रूप से भी मनुष्य का कल्याण होता है।
कार्यक्रम में मुम्बई से श्रीनारायण राठी, इरोड़ से जुगल लढ्ढा, रामगढ़ झारखंड से किशोर जाजू और सूरत से सुशील डागा, मनमोहन डागा आदि अनेक यजमान दम्पती बाहर से पधारे हैं तथा कुछ स्थानीय यजमान भी सम्मिलित हैं। कर्मकांड का सम्पूर्ण कार्य पं. राजेन्द्र किराड़ू के आचार्यत्व में मुरलीधर पुरोहित, संतोष व्यास, पं. उमेश किराड़ू, गोविन्द किराड़ू, मदनगोपाल व्यास, श्रीलाल किराड़ू, आशाराम किराड़ू आदि जुटे रहे। आयोजन में देवकीनंदन व्यास, जुगलकिशोर पुरोहित, भवानीशंकर व्यास आदि व्यवस्थाओं को सुचारू कर रहे हैं। सायंकाल सवा छह बजे संगीतमय आरती की जाती है तथा कार्यक्रम की पूर्णाहुति 3 नवम्बर को होगी।
