बीकानेर इंसानों की गलती से राज्य पशु ऊंटों की जान सांसत में हैं। राजमार्गों पर तूडी, चारा व ऊंटगाड़ी को लेकर चलने वाले पशुपालक सुरक्षा उपकरणों का उपयोग नहीं करते हैं। ऊंटगाड़ों पर रिफ्लेक्टर नहीं लगा होने से रात के अंधेरे व कोहरे के कारण अक्सर वाहन ऊंटगाड़ों से टकरा जाते हैं। हादसों में ऊंटों के चोटिल होने के मामले बढ़ रहे हैं। खासतौर से सर्दी व कोहरे के समय में ऊंटगाड़ों से होने वाले हादसों की संख्या में बढ़ोतरी होती है। पिछले छह महीने में छह ऊंट हादसे में जान दे चुके हैं, वहीं दो ऊंट गंभीर रूप से घायल हुए हैं।
हैरान करते हैं आंकड़े
आंकड़ों के नजरिये से देखें, तो जिले में राज्य पशु ऊंट की संख्या तेजी से घट रही हैं। कई ऊंट उम्र के चलते मर रहे हैं तो कई बीमारी व सड़क हादसों में घायल होकर मौत की नींद सो रहे हैं। आंकड़े बड़े हैरान करने वाले हैं कि जिले में बीमारी के बाद सर्वाधिक ऊंटों की मौत हादसों में घायल होने के बाद हो रही है। पिछले छह महीने में 9 हादसों में आठ ऊंट घायल हुए, जिसमें से छह की मौत हो चुकी है और दो का इलाज चल रहा है।
कम होने की वजह
चारागाह कम होना, उष्ट्र विकास योजनाओं का बंद होना, तस्करी, ऊंटों की बढ़ती उम्र व आए दिन होने वाले हादसे।
ऊंटों की नस्लें
राजस्थान में मुख्यतः नाचना और गोमठ नस्ल के ऊंट हैं। नाचना नस्ल के ऊंट सवारी और तेज दौड़ने वाले होते हैं जबकि गोमठ ऊंट कृषि संबंधी कार्यों के साथ-साथ भारवाहक होते हैं। इसके अलावा बीकानेरी, बाड़मेरी, कच्छी, सिंधु,जैसलमेरी वा भी राजस्थान में हैं।
ऊंट राजस्थान में
पशुगणना 2012 के मुताबिक 3.26 लाख ऊंट,2017 के मुताबिक 2.13 लाख ऊंट देश के 82 प्रतिशत ऊंट राजस्थान में 46000 ऊंट 2012 में थे बीकानेर में,43800 ऊंट रह गए 2021 में
ऊंटगाड़े पर लगाते हैं रिफ्लेक्टर
राजमार्गों पर रात के समय ऊंट व ट्रैक्टर-ट्रॉलियां चलती हैं। अंधेरे व कोहरे के कारण वाहन चालक को दिखाई नहीं पड़ते, जिससे हादसे होते हैं। इसको रोकने के लिए ऊंटगाड़ों व पशुओं पर रिफ्लेटिव टेप लगाई गई। ऊंट व बैल गाड़ियों पर रिफ्लेक्टर लगाए गए। पिछले सालभर में 14 हजार 693 ऊंटगाड़ों, बैलगाड़ी व अन्य वाहनों पर रिफ्लेक्टिव टेप लगाई गई। साथ ही ऊंटगाड़ी व बैलगाड़ी चालकों को जागरूक किया जा रहा है।
योगेश यादव, पुलिस अधीक्षक
ऊंटों को बचाना चुनौतीपूर्ण
हादसों में घायल होने वाले होता है। ऊंट वजनदार होने व हड्डियों में रक्त संचरण कम होने के कारण पूरी तरह से इलाज संभव नहीं हो पाता। पिछले छह माह में छह घायल ऊंटों की हड्डियों के फ्रेक्चर के कारण मौत हुई है। ऊंटों को बचाना चुनौतिपूर्ण हो गया है।
– डॉ. ओमप्रकाश किलानियां, संयुक्त निदेशक पशुपालन विभाग
केस एक: श्रीडूंगरगढ़ थाना क्षेत्र में शनिवार रात को खाखी धोरा के पास ट्रक ने एक ऊंटगाड़े को टक्कर मार दी। हादसे में ऊंटचालक और ऊंट की मौत हो गई। वहीं करीब 15 दिन पहले बिग्गा के पास अज्ञात वाहन ने ऊंट को टक्कर मार दी, जिससे वह घायल हो गया। घायल ऊंट को श्री राधा-किसन श्रीगौशाला बिग्गा में भर्ती कराया गया है।
केस दो: महाजन थाना क्षेत्र में 17 दिन पहले एक बजरी से भरा ट्रक ऊंटगाड़ी पर पलट गया, जिससे ऊंटगाड़ी पर सवार महिला-पुरुष व एक बच्चे की मौत हो गई। हादसे में ऊंट भी मर गया। वहीं करीब पांच साल पहले कानासर के पास ट्रेन की चपेट में आने से तीन ऊंटों की मौत हो गई थी।’