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बीकानेर,देवी सिंह भाटी आपने बहुत राजनीति कर ली। इस मोहपाश से कोई नेता मुक्ति नहीं पा सकता है। राजनीति करो, परंतु ऐसी मत करो जो आज की तस्वीर में दिखाई देती है। आप तो वैसे ही सक्रिय राजनीति में अभी नहीं हो। भाजपा से आप निष्कासित हो। फिर आज की विडंबनापूर्ण और विकृत राजनीति से हटकर कोई बड़ा ही खेल करो ना। लोकतंत्र में राजनीति करने वाले नेताओं और राजनीतिक दलों से भी बहुत कुछ बड़ा होता है। दुर्भाग्य की हमारी सोच विकृत हो गई है हम राजनीति से ऊपर की बातों को तरजीह कहां देते हैं। जिन नेताओं और राजनीति के पीछे हम चक्करघिनी रहते हैं वो हमें क्या देते हैं? समाज में उनके योगदान का विश्लेषण कर लीजिए। जो समाज, राष्ट्र, मानवता और जन कल्याण की बातें निर्लेप तरीके से सोचते हैं , करते हैं वे आज भी राजनेताओं से ज्यादा बड़े हैं। लोगों के चहेते हैं …बापू, विनोबा भावे, अब्दुल जे कलाम जैसे सैकड़ों लोग स्थानीय स्तर पर, प्रदेश या राष्ट्रीय स्तर पर काम किया हैं। जनता में उनका बड़ा सम्मान रहा है। अब आप भी ऐसे सम्मान की तरफ बढ़ चलो ना। लोकतंत्र में राजनीति के इतर कोई अच्छा काम करने की प्रेरणा देने वाला समाज में दिखता नहीं है। अगर कोई अच्छा काम करना चाहें तो सत्ता उसको मानती नहीं है। अच्छा काम वो ही होगा जो अशोक गहलोत और नरेंद्र मोदी करेंगे। बाकी अच्छा सोचने, करने और करने की प्रेरणा देने वालों की क्या हैसियत है ? बताओ आप। भाटी जी भले ही भाजपा ने आपको निष्कासित कर दिया हो और आप सक्रिय राजनीति में नहीं है, परंतु राजनीति की धारा से निकले हुए व्यक्ति तो हैं ही। लोकतंत्र में राजनीति की नई लकीर खींचो ना। आपके पिछले राजनीतिक जीवन के अनुभवों से नया करो। इतिहास बन जाएगा अन्यथा तो जनता की नजर में नेताओं का कितना सम्मान है सब जानते हैं। भाटी जी नेताओं की परिभाषा बदल दो ना। आपको राजनीति तो करनी चाहिए। आप इसी धारा के हो, परंतु गहलोत और राजे से ऊपर उठकर। कठिन डगर है। बिरला ही साहस कर सकता है। राजनीति करने वाला पार्टी का चुनाव जीतकर तो कोई मंत्री बन सकता है। पर इससे ऊपर की साख साधना से ही मिलती है। कोई तो ऐसी साधना करो रे। ताकि राजनीति की बुराईयां सुधर सकें।

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