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बीकानेर,खारड़ा बीकानेर जिले की पूर्वी दिशा का आखिरी गांव है जो कि बीकानेर से 65 km की दूरी पर बसा हुआ हैं । और इस गांव में लगभग हर एक जाति वर्ग के लोग निवास करते । मुख्यत ब्राहम्ण व जाट जाति के लोग बहुसंख्यक है और इस गांव की शोभा में चार चांद लगाता है लोकदेवता श्री हरिराम जी महाराज का मंदिर । यह मंदिर गांव के मध्य नया कुंआ के पास स्थित है और इस मंदिर की विशेषता है की जब से इस मंदिर स्थापना हुई है तब से लेकर आज तक किसी भी शर्प दंश से पीड़ित व्यक्ति को कोई परेशानी नही होती है। किसी भी प्रकार का कितना भी विषैला जानवर अगर किसी को काट लेता है तो उक्त व्यक्ति को मंदिर पर लाया जाता है और  लगभग तीन से पांच दिन मंदिर पर रखा जाता है मुख्य पुजारी श्रवण दास स्वामी दिन में तीन बार झाड़ा लगाते ह ओर बाबा की ज्योत की भस्मी जल में घोलकर पिलाते ह ओर बाबा की कृपा से भस्मी संजीवनी का काम करती है । जिससे उक्त व्यक्ति बिल्कुल स्वस्थ होकर अपने घर लौटता है । और अन्य कई प्रकार की बिमारियां भी इड़ा पीड़ा ज्वर रोग चर्म रोग बवाशिर आदि की बीमारियो में भी तीन झाड़ो में आराम मिलता है। ऐसा यंहा के लोगो का मानना है। क्यों कि यंहा का हर एक घर परिवार खेती किसानी का काम करते है और खेती के समय यानी कि चौमासे में शर्पदंश के केश अधिक होने सम्भावना बढ़ जाती है लेकिन हरिराम बाबा की कृपा से इस बड़ी परेशानी की समस्या इस गांव में बिल्कुल भी नही है आसपास के गांवों के लोग भी इस मंदिर में दर्शन करने आते है । और बाबा उनकी मनोकामनाए पूर्ण करते है । भादवा महीने में इस मंदिर में पूरे महीने मेले के जैसा माहौल बना रहता है । और सन्ध्या आरती के समय सेंकडो की संख्या में लोग प्रति दिन एकत्र होते है और बाबा की ज्योत के दर्शन करते है । यंहा के ग्रामीणों के मुताबिक यह मंदिर उनके लिए किसी स्वर्ग से कम नही है। गांव के हर एक जाति के बड़े बुजुर्ग व युवा साथी इस मंदिर की व्यवषथा सम्भालने में सदैव उत्सुकता से लगे रहते है। हर साल मन्दिर में रंगरोगन व साज सज्ज़ा का कार्य भामाशाहो द्वारा किया जाता है । इस धाम पर भाद्रपद बदी चतुर्थी को भव्य जागरण लगता है व पंचमी को मेला भरता है । और इस गांव से एक बहुत बड़ा पैदल संघ भी बाबा की जन्मभूमि गांव झोरड़ा नागौर के लिए हर साल बाबा के दर्शनार्थ जाता है । आप भी बाबा के दर्शनार्थ खारड़ा आए  कुल मिलाकर यंहा के लोग शालीनता व भाईचारे के पथ पर चलते हुए अपना जीवन यापन करते है ।

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