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बीकानेर,त्योंहारी सीजन को लेकर बाजारों में रौनक परवान पर है। जंहा इस बार दीपावली के इस खास पर्व पर ज्वेलरी में खासा बूम देखा जा रहा है,क्योंकि बीते दो सालों से बाजारों में कोरोना की मार पड़ी हुई थी। ऐसे में इस बार दीपावली पर ज्वेलरी में लोगों की जमकर खरीददारी होगी। एक अनुमान के मुताबिक इस बूम में ज्वेलरी मार्केट में बड़ा मुनाफा बुक होने की संभावना है। तो वंही दूसरी ओर इस मार्केट से जुड़े सूत्रों के अनुसार अगर किसी ग्राहक को सोने चांदी का पेमेंट कच्चे में पेमेंट करना हो तो मतलब बिना बिलिंग की सुविधा तो वो भी शर्त के साथ उपलब्ध बताते है। ऐसे में मतलब साफ है कि बड़ा मुनाफा कमाने के चक्कर में सरकार को राजस्व हानि होने की बात से इनकार नही किया जा सकता।

वंही सूत्रों की अगर माने तो बीकानेर में ज्वेलरी से जुड़े दर्जनों ऐसे प्रतिष्ठान है जो हॉलमार्क के नाम पर खानापूर्ति कर रहे है। जंहा ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (बीआईएस) हॉलमार्क के मानकों को अनदेखा किया जा रहा है। बीकानेर में बड़े-बड़े लुभावने चकाचौंध वाले विज्ञापन व होर्डिंग और फ्लेक्स के द्वारा अपने ब्रांड को विश्वनीयता के साथ दिखाया जा रहा है। क्या इन प्रतिष्ठानों में रखे वजन करने वाले इलेक्ट्रिक इक्यूपमेंटस की जांचे होनी चाहिए? क्या बीआईएस के मानकों को परखा जाना चाहिए?? क्या इनके लेनदेन के खातों की ऑडिट जीएसटी या किसी अन्य सरकारी संस्थान से होनी चाहिए? यह इसलिए अहम है कि नोटबन्दी के बाद आमजन का झुकाव सोने चांदी की तरफ बीते सालों में कई गुना बढ़ा है। ऐसे में उपभोक्ताओं के हितों की रक्षार्थ और उन्हें जाग्रत करने के लिए सिस्टम से यह सवाल लाजमी है।

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