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जयपुर..विधानसभा में मंगलवार को परकोटे में अतिक्रमण का मामला उठा। सरकार ने साफ किया कि अतिक्रमण ध्वस्त करने के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट में स्टे है इसलिए यथास्थित ही रहेगी। भाजपा विधायक कालीचरण सराफ ने परकोटे में अतिक्रमण हटाए जाने को लेकर सवाल पूछा था।

सराफ ने पूछा परकोटे में अतिक्रमण हटाने के लिए कोर्ट ने जो स्थगन आदेश दिया है उसे हटाने के लिए सरकार क्या कर रही है? यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने कहा परकोटे से 15 फीट दूर तक अतिक्रमण हटाने के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के यथास्थिति के आदेश हैं। हाईकोर्ट में परकोटे से 15 फीट दूर तक अतिक्रमण हटाने के लिए रिट दायर की गई थी।

हाईकोर्ट की कमेटी ने परकोटे में 5 किमी की परिधि में 1868 अतिक्रमण चिन्हित किए थे। सूची कोर्ट में पेश की गई और परकोटे की सुरक्षा के लिए स्पेशल सेल का बनाई गई। हाईकोर्ट ने 2015 में फाइनल ऑर्डर पास करते हुए 15 मई 2015 से अतिक्रमण ध्वस्त करने के आदेश दिए थे।

इस पर सरकार और निगम ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की, जो खारिज कर दी गई। धारीवाल ने बताया केंद्र के अटॉर्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा निगम अधिकारियों ने जमीनें बेची थीं ऐसे में 15 फीट में अतिक्रमण कैसे हटेंगे? सुप्रीम कोर्ट ने फिर से हाईकोर्ट जाने को कहा था। हाईकोर्ट ने 22 फरवरी 2016 को उसी आदेश को पारित कर दिया। इसके बाद नगर निगम और सरकार ने आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में फिर एसएलपी दायर कर दी।

5 साल पहले तय हुआ था-परकोटे से 5 मीटर दूर तक हटाने हैं अतिक्रमण
पांच साल पहले निगम ने परकोटे की दीवार से पांच मीटर की दूरी में करीब 2300 से ज्यादा अवैध निर्माण व अतिक्रमण सामने आए थे। निगम भी मानता है 22 जगह परकोटा गायब हैं। निगम 1792 ही चिह्नित कर सका। 1100 लोगों के ही अतिक्रमण मानते हुए नोटिस दिए गए।

सचिवालय नगर विस्तार योजना का रिकॉर्ड नहीं,व्यक्तिगत आवेदन करने पर ही पट्‌टा
जयपुर
। यूडीएच शांति धारीवाल ने विधानसभा में कहा मुहाना गृह निर्माण सहकारी समिति की सचिवालय नगर योजना में 740 सदस्य थे। 663 को पट्टे मिल चुके हैं। 40% भूमि काश्तकारों के कब्जे में है, 50% खाली और 10% पर निर्माण है। फिर भी मकान बना कर कोई रह रहा है तो उसे व्यक्तिगत पट्टा मिलेगा।

धारीवाल राजकुमार शर्मा के प्रश्न में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया सचिवालय नगर का 2003 में नियमन शिविर लगा था। मुहाना गृह निर्माण सहकारी समिति लिमि. की योजना सचिवालय नगर विस्तार के संबंध में सोसायटी द्वारा रिकॉर्ड नहीं दिया गया इसलिए नियमन नहीं हो सकता।

जेडीए ने 26 जुलाई 2010 से 2 अगस्त 2010 तक शिविर आयोजित कर भूखंडधारियों से व्यक्तिश: दस्तावेज प्राप्त किए हैं। इसके बाद नियमन के संबंध में कोई कार्यवाही नहीं की गई है।

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