बीकानेर, रंगमंच का पांच दिवसीय महाकुंभ ‘बीकानेर थियेटर फेस्टिवल’ मंगलवार को सम्पन्न होगा। अंतिम दिन पांच स्थानों पर नाटकों का मंचन किया जाएगा। आयोजन समिति सदस्य हंसराज डागा ने बताया कि अंतिम दिन प्रातः 11 बजे हंशा गेस्ट हाउस में गोवा के विजय नाईक के ‘हीरा बाई’, दोपहर 2 बजे रेलवे ऑडिटोरियम में असम के असीम नाथ का ‘हेवन टू हेल’, सायं 4 बजे टाउन हॉल में दिल्ली के अजीत चौधुरी का ‘पति गयी री काठियावाड़’, सायं 5ः45 बजे रविन्द्र रंगमंच पर असम के पबीत्र राभा का ‘कीनो काऊ’ तथा रात्रि 8 बजे चंद्रकांता फेम (क्रूर सिंह) अखिलेन्द्र मिश्रा का ‘विवेकानंद का पुर्नपाठ’ मंचित किया जाएगा।
फेस्टिवल से जुड़े सुरेन्द्र धारणिया ने बताया कि सोमवार को सर्वाधिक छह स्थानों पर मंचन हुआ। इसकी शुरूआत हंशा गेस्ट हाउस में जयपुर के दिलीप भट्ट के लोक नाट्य ‘गोपीचंद भर्तहरि तमाशा’ से हुई। रेलवे ऑडिटोरियम में जयपुर के राजदीप वर्मा के ‘बेबी’, टाउन हॉल में देहरादून की जागृति सम्पूर्ण के ‘मंगलू’, रविन्द्र रंगमंच पर दिल्ली के सईद आलम के ‘अकबर दा ग्रेट नहीं रहे’ तथा टीएम ऑटोरियम में चंडीगढ़ के राजा सुब्रह्मण्यम और शिवम ढल्ल के ‘फिल्मिश का मंचन होगा। इसी प्रकार होटल मिलेनियम में बाल नाटक ‘प्लेटफॉर्म नंबर 8’ का मंचन किया गया। सोमवार को भी बड़ी संख्या में आमजन ने इन नाटकों को देखा।
आयोजन से जुड़े मधु सूदन अग्रवाल ने बताया इससे पहले अभिनय कार्यशालाएं भी आयोजित हुई। अरुण व्यास, स्वाति व्यास और अमित तिवारी ने प्रशिक्षु रंगकर्मियों को अभिनय की बारीकियां बताई। विनसन इंटरनेशनल स्कूल के विद्यार्थियों ने रविन्द्र रंगमंच पर नाटक की प्रस्तुति दी। इस दौरान बड़ी संख्या में विद्यार्थी मौजूद रहे। युवा रंगकर्मी के. के. रंगा ने कार्यशाला के विभिन्न सत्रों की जानकारी दी। सोमवार को ही वरिष्ठ साहित्यकार मधु आचार्य आशावादी और हरीश बी. शर्मा के मध्य रंग संवाद आयोजित हुआ।
आयोजन समन्वयक सुनील जोशी ने बताया कि मंगलवार प्रातः 10 बजे भारतीय रंगमंचः चुनौती और रणनीति’ विषय पर हरीश बी. शर्मा द्वारा रंगकर्मियों के साथ खुला संवाद हंशा गेस्ट हाउस में किया जाएगा। सोमवार को भी अनेक कला-साहित्य धर्मियों ने गायत्री प्रकाशन की पुस्तक दीर्घा, मनीष पारीक की फोटो प्रदर्शनी और कला दीर्घा का भी अवलोकन किया।
कार्यक्रमों के दौरान डॉ. नंद किशोर आचार्य, डॉ. अजय जोशी, रमेश बोहरा, कासिम बीकानेरी, नगेन्द्र किराडू, राजा राम स्वर्णकार, हिमांशु व्यास सहित अनेक लोग मौजूद रहे। विभिन्न सत्रों का संचालन करते हुए संजय पुरोहित ने नाटकों की प्रस्तावना और कलाकारों से परिचय करवाया।