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बीकानेर,मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उनके सरकार की जन कल्याणकारी योजनाओं के संदर्भ में दो लाख लाभार्थियों से संवाद कर योजनाओं के सफल होने की जनता से मोहर लगा ली है। अब विपक्ष या भाजपा के लिए जनता में इन जन कल्याणकारी योजनाओं पर टिप्पणी के लिए कोई गुंजाइश नहीं छोड़ी है। यह सरकार का जनता के बीच अपने किए कामों को प्रमाणित करने का प्रभावी तरीका साबित हुआ। योजना बनाई। जनता के बीच लाए। जनता को लाभ दिया और संवाद करके लाभ मिलने को प्रमाणित कर लिया। यह शायद लाभार्थियों के साथ सरकार का सबसे बड़ा, अनोखा और नवाचार वाला संवाद रहा। साथ ही केंद्र की भाजपा सरकार के सामने योजनाओं को लाभार्थियों के बीच साबित करने की बड़ी चुनौती भी। काम तो मोदी सरकार ने भी खूब किए हैं। वाह वाह तो जनता आवास, शौचालय योजना की भी खूब करती है, परंतु गहलोत ने जो भुनाया वो अपने आप में मिसाल है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जब संवाद के दौरान यह कहते हैं कि राजस्थान की एक पिछड़े राज्य की छवि थी, वहीं आज राजस्थान एक मॉडल स्टेट के रूप में तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्था बनकर उभरा है। राज्य सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं को हर पात्र व्यक्ति तक पहुंचाना हमारा लक्ष्य है। यह बात संवाद के जरिए गहलोत ने राजस्थान दिवस पर आयोजित लाभार्थी उत्सव के माध्यम से राजनीतिक रूप से साबित भी की। गहलोत के इस दावे को भाजपा कितनी चुनौती दे सकती है कि राज्य सरकार ने आमजन को निःशुल्क शिक्षा, पानी, बिजली, राशन, स्वास्थ्य बीमा, जांच, दवाई, उपचार के साथ 1 करोड़ लोगों को पेंशन, नए स्कूल, कॉलेज, सड़कों, सस्ते गैस सिलेंडर समेत जन कल्याण की योजनाओं का लाभ दिया है। बेशक निष्पक्ष रूप से गहलोत सरकार की जन कल्याण की योजनाओं का लोगों फायदा मिला है। जन कल्याण कारी सरकार के बहुत से काम सीधा जन जन को राहत देने वाले हैं, अब इसका राजनीतिक लाभ उठाने का खेल शुरू हुआ है। केंद्र सरकार की मल्टी मीडिया प्रदर्शनी के माध्यम से केंद्र और राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं की वर्चुअल रियल्टी जो इंपेक्ट नहीं छोड़ पाई उससे कई गुणा इंपेक्ट इस प्रायोजित 2 लाख लाभार्थियों से संवाद का रहा। गहलोत और गहलोत सरकार दोनों ने कमाल कर दिया। यह संवाद किसी के लिए आईना तो किसी के लिए चुनौती बन गया है।

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