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बीकानेर,राज्य सरकार या स्थानीय पुलिस के आलाधिकारी पुलिस को थानों में परिवादियों को राहत की बात का दावा करते है। उनके ये दावे कितने सार्थक है,इसकी बानगी पिछले दिनों गंगाशहर थाने में हुए एक मामले में सामने आ रही है। चोरी के एक मामले में नाबालिग बच्चों के साथ मारपीट करने के मामले को पुलिस ने रफा-दफा कर दिया है। यही कारण है कि अब बच्चों का पूरा परिवार एसपी योगेश यादव के ऑफिस के बाहर धरने पर बैठ गया है। इसके बाद भी पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की है।आठ अक्टूबर की रात कहीं चोरी के मामले में पुलिस को इन बच्चों पर शक था। जिसके यहां चोरी हुई थी, उन्होंने ही पुलिस को इन बच्चों पर शक जताया। इस पर घर से उठाकर बच्चों को थाने ले आए। यहां बच्चों के साथ जमकर पिटाई की गई। एक नाबालिग के हाथ में फ्रेक्चर भी हो गया। वहीं अन्य के शरीर पर चोट के निशान साफ दिखाई दे रहे थे। तत्कालीन थानाधिकारी लक्ष्मण सिंह ने तब मारपीट नहीं होने का दावा किया था। थाने के जिस कार्मिक पर मारपीट का आरोप था, उसके खिलाफ कोई जांच भी नहीं हुई।

गरीब परिवार अब धरने पर
मारपीट के पीडि़त परिवार ने अब पुलिस अधीक्षक ऑफिस के बाहर धरना लगा दिया है। इनका आरोप है कि पुलिस जानबूझकर इस मामले में तफ्तीश नहीं कर रही है। तत्कालीन थानाधिकारी पर कार्रवाई के बजाय उनका तबादला गंगाशहर से अब सदर थाने में कर दिया गया है। वहीं जिस एएसआई ने मारपीट की, उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।

ट्रोमा सेंटर ले गए थे
मारपीट के बाद घायल बच्चों को अस्पताल ले जाने के बजाय छोड़ दिया गया। उनके पिता ही पीबीएम अस्पताल के ट्रोमा सेंटर लेकर पहुंचे। जहां बाद में मीडिया के सामने आकर चोट के निशान भी दिखाए। तब बच्चों के पैर व हाथ में चोट के निशान दिखाई दे रहे थे। ढंग से चल भी नहीं पा रहे थे। आरोप है कि उनके पेरों पर डंडों से पिटाई की गई है। पिता का आरोप है कि पुलिस ने बिना सोचे समझे उनके बच्चों पर चोरी जैसा गंभीर आरोप लगा दिया, जबकि उनकी कोई भूमिका ही नहीं थी।

इसी थाने में टीचर से मारपीट
कुछ समय पहले इसी थाने में एक प्राइवेट स्कूल संचालक के साथ भी मारपीट की गई थी। तब एएसआई ने स्कूल में ही संचालक को पीटा था। ये मामला सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गया था। प्राइवेट स्कूल संचालकों ने भी जमकर हंगामा किया, जिसके बाद एएसआई भवानीदान को निलंबित कर दिया गया था।

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