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बीकानेर.देश भर के परिवहन कार्यालयों में दलालों-अफसरों के गठजोड़ की खबरें आम हैं। लाइंसेंस बनवाने से लेकर रजिस्ट्रेशन करवाने और वाहनों संबंधित अन्य दूसरे कार्यों के लिए आमजन की परेशानी तो जैसे उसकी किस्मत में लिखी होती है। राज्य या शहर कोई भी हो। सिर्फ शहरों के नाम बदलते हैं, लोगों की परेशानी और उन्हें पड़ने वाली आर्थिक चोट लगभग एक जैसी ही होती है। बीकानेर भी इन समस्याओं से अलहदा नहीं है। लर्निंग लाइसेंस से लेकर स्थाई लाइसेंस और अन्य दूसरे वाहन संबंधी कामों के लिए यहां भी बाकायदा परिवहन कार्यालय है। लेकिन अफसोसजनक हकीकत यही है कि दलालों की शरण में जाए बिना आमजन के काम हो नहीं पाते। कोई बहुत जीवट वाला शख्स हो, तो भागदौड़ करके भले ही लाइसेंस हासिल कर ले, लेकिन आमतौर पर लोगों को परिवहन कार्यालय के रवैये और हालात को देखते हुए थक-हार कर दलालों-ई मित्र की शरण में जाना ही पड़ता है। जहां उनकी जेब कटनी (पैसे की उगाही) तय है।

बीछवाल स्थत प्रादेशिक परिवहन कार्यालय। समय सुबह 11:18 बजे। लर्निंग लाइसेंस बनाने के लिए खिड़की पर बैठे कार्मिक से पूछा, तो उसने उसने सारी प्रक्रिया ऑनलाइन होने की बात कही। साथ ही बताया कि सरकारी फीस 350 रुपए लगेगी। एक महीने बाद जब स्थाई लाइसेंस बनेगा, तब 1250 रुपए और लगेंगे। कर्मचारी ने दबी जुबान से एक ई-मित्र का नाम सुझाते हुए वहां जाने की सलाह दी।

लाइसेंस शाखा में भीड़ में एक व्यक्ति दो युवकों से फार्म पर हस्ताक्षर करवा रहा था। नाम पूछा, तो सूरजदेव बताया। लाइसेंस बनाने के बारे में बात की, तो कहा चार हजार रुपए लगेंगे।एक रुपया कम, ना ज्यादा। लर्निंग हाथों हाथ दिलवा दूंगा, स्थाई एक-सवा एक महीने बाद मिलेगा। स्थाई लाइसेंस बिना वाहन चलाए बनवा कर दूंगा। बशर्ते जिसका लाइसेंस बनवा रहे हैं, वह विकलांग ना हो। हाथ-पैर सही हों। सही चल सकता हो और आंखों में कोई दिक्कत न हो।

क्षेत्रीय प्रादेशिक परिवहन कार्यालय के बाहर ई-मित्र एवं आरटीओ संबंधी काम कराने वाली दुकानों पर पहुंची। एक ई-मित्र पर बात की। उसने लर्निंग व स्थाई लाइसेंस बनवाकर देने के 3500 रुपए मांगे। साथ ही कहा कि हाल ही में सरकार ने 200 रुपए यूजर चार्ज लगा दिया है, इसलिए कुल 3700 रुपए देने होंगे। गाड़ी के साथ टेस्ट नहीं देना होगा। डेढ़ महीने के भीतर लाइसेंस मिल जाएगा। रुपए पहले देने होंगे। रुपए देने के बाद ही काम होगा।

प्रादेशिक परिवहन कार्यालय में चारो तरफ लूट-खसोट होने का आभास होता है। यहां वाहन चालकों के काम आसानी से नहीं होते। शहर से करीब 11 किलोमीटर दूर इस कार्यालय में रोजाना आना-जाना बेहद मुश्किल होता है। लिहाजा, आमजन रोज-रोज के चक्कर से बचने के लिए दलालों के जरिए काम करवाना ही ज्यादा आसान समझते हैं।

परिवहन विभाग के एक कार्मिक ने बताया कि सरकार ने हाल ही में स्थाई लाइसेंस में यूजर चार्ज 250 रुपए दुपहिया-चौपहिया वाहन के लिए बढ़ा दिया है। यह यूजर चार्ज केवल वहां बढ़ाया गया है, जहां पर ड्राइविंग ट्रैक बना हुआ है। प्रदेश में 12 डीटीओ कार्यालय में ही ड्राइविंग ट्रैक है, जहां यह यूजर चार्ज बढ़ाया गया है।

गौरतलब है कि 14 जुलाई से ड्राइविंग ट्रैक संचालन का काम निजी कंपनी से हटाकर परिवहन विभाग के अधीन कर दिया गया है। इसके बावजूद ड्राइविंग ट्रैक के संचालन का काम कंपनी के कार्मिक ही कर रहे हैं। ड्राइविंग ट्रैक पर लाइसेंस आवेदक को स्वयं का वाहन चलाकर दिखाना अनिवार्य है। ऐसे में बिना वाहन के दलाल और ई-मित्र संचालक के माध्यम से एक हजार रुपए शुल्क वसूला जा रहा है।

एक नजर …

लर्निंग लाइसेंस
– पुरुष – महिला

– 200 – 150
– 800 – 700

दुपहिया-चौपहिया वाहन श्रेणी
– पुरुष – महिला

– 350 – 200
– 1250 – 1150

लाइसेंस का पूरा काम ऑनलाइन है, जो ई-मित्र व ड्राइविंग स्कूल संचालक करते हैं। परिवहन कार्यालय में केवल लर्नर लाइसेंस का टेस्ट व स्थाई लाइसेंस के लिए ड्राइविंग टेस्ट लिया जाता है। पास होने वाले आवेदकों को लाइसेंस जारी किया जाता है। लाइसेंस की सरकार की ओर से निर्धारित फीस भी ऑनलाइन ही जमा होती है। लोग ई-मित्र संचालकों को कितना रुपया देते हैं, इसकी विभाग को जानकारी नहीं है।

राजेश शर्मा, प्रादेशिक परिवहन अधिकारी बीकानेर

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