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बीकानेर,महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय के कुलपति कुलगुरु आचार्य मनोज दीक्षित ने कहा कि एक साहित्यकार का दायित्व है कि वह अपने सृजन में समाज की तात्कालिक तस्वीर प्रस्तुति करे। पाठक के समक्ष समाज के उजले पक्ष रखे और विद्रूपताओं को दूर करने का मार्ग सुझाए।

कुलगुरु दीक्षित शुक्रवार को महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय सभागार में कवि-कथाकार राजेंद्र जोशी के आलेख संग्रह ‘शिक्षा और साक्षरता के आयाम’ के विमोचन समारोह के दौरान बोल रहे थे।

आचार्य मनोज दीक्षित ने कहा कि साहित्य को समाज का दर्पण माना जाता है। आज के दौर में यह अधिक प्रासंगिक है। उन्होंने आलेख लेखन को अधिक चुनौतीपूर्ण बताया और कहा कि राजेंद्र जोशी इस कसौटी पर खरे उतरे हैं। कुलगुरु ने इसे विद्यार्थियों और शोधार्थियों के लिए उपयोगी बताया।

कुलगुरु ने कहा कि बीकानेर की साहित्यिक परम्परा अत्यंत समृद्ध है। इसका लाभ विद्यार्थियों को मिले, इसके मद्देनजर विश्वविद्यालय की ओर से साहित्य से जुड़ी मासिक विचार श्रृंखला आयोजित की जाएगी। विश्वविद्यालय साहित्य की ऐतिहासिक पांडुलिपियों और पुस्तकों का डिजिटाइजेशन कर इनके संरक्षण में अपना योगदान देगा। उन्होंने विश्वविद्यालय के पुस्तकालय में बीकानेर के समस्त साहित्यकारों की पुस्तकें संकलित करते हुए इसे और अधिक समृद्ध करने की बात कही।

आचार्य मनोज दीक्षित ने साक्षरता, शिक्षा और रोजगार पर अपनी बात रखी और कहा कि नई शिक्षा नीति में मातृभाषा में शिक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है, जिससे व्यक्ति विभिन्न विषयों को अधिक सहजता से सीख सके।

विशिष्ट अतिथि के रूप में बोलते हुए डॉ. हरि शंकर आचार्य ने कहा कि आज डिजिटल साक्षरता की आवश्यकता और प्रासंगिकता बढ़ी है। हमें भी इस और ध्यान देना होगा। उन्होंने कहा आर्टिफिशल इंटेलिजेंस के दौर में किताबों के साथ चलना, मुश्किल है लेकिन यह बहुत जरूरी है।

पुस्तक के लेखक राजेंद्र जोशी ने कहा कि पुस्तक में सभी आलेखों में सम सामयिकता, तथ्यों और आंकड़ों की प्रमाणिकता को विशेष तरजीह है दी गई है। इनमें साक्षरता, शिक्षा और रोजगार की स्थिति, प्रतियोगी परीक्षाओं में विश्वसनीयता, शिक्षा और खेल, पुस्तकालयों की दशा और दिशा जैसे 30 आलेख संकलित किए गए हैं। उन्होंने साक्षरता की महिम के बारे में बताया तथा शिक्षा में संस्कारों के महत्व पर अपनी बात रखी।

पुस्तक के संपादक डॉ. अजय जोशी ने राजेंद्र जोशी के साहित्यिक अवदान पर बात रखी तथा पुस्तक से जुड़े विभिन्न तथ्यों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि आज के दौर में पुस्तक पढ़ने की प्रवृत्ति को पुनर्जीवित करना जरूरी है। उन्होंने नवकिरण प्रकाशन के विविध प्रकाशनों की जानकारी दी।

इससे पहले अतिथियों ने पुस्तक का विमोचन किया। गीतकार राजा राम स्वर्णकार ने स्वागत उद्बोधन दिया। इस दौरान विश्वविद्यालय के राजस्थानी विभाग प्रभारी डॉ. लीला कौर, डॉ. प्रभु दान चारण, उमेश शर्मा और डॉ. प्रशांत बिस्सा ने भी विचार व्यक्त किए। डॉ. धर्मेश हरवानी ने आभार जताया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. गौरी शंकर प्रजापत ने किया।

इस दौरान चित्रकार योगेंद्र पुरोहित, मनोज आचार्य, रामावतार उपाध्याय, पप्पू सिंह भाटी, नखतूचंद्र सुथार, शुभकरण उपाध्याय, कृपा शर्मा, मोनिका व्यास और दिव्या राजपुरोहित सहित अन्य लोग मौजूद रहे।

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