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बीकानेर,आमतौर पर विवाह में दूल्हे को धोड़ी पर बिठाया जाता है परन्तु श्रीमाली ब्राह्मण समाज मे दूल्हे से पहले दुल्हन धोड़ी पर बैठकर,  घराती वालों के संग गाजे-बाजे के साथ दूल्हे को निमंत्रण देने वरपक्ष के यहां पहुँच जाती है l श्रीमाली समाज की इस अनूठी परंपरा को बिन्दोली निकालना कहा जाता है l
मंगलवार को श्रीमाली समाज के व्यास परिवार ने सोनगिरि कुआं स्थित महेश भवन से सजी-धजी दुल्हन सरिता श्रीमाली को धोड़ी पर बैठाकर गाजे-बाजे के साथ जब पूरे घराती नाचते-कूदते,आतिशबाजी करते हुए शहर के मुख्य मार्ग से होते हुए  गजनेर रोड स्थित गणगौर होटल दूल्हे के निवास स्थान पहुँचे तो राह चलते समस्त लोगों के लिए यह कौतूहल का विषय बन गया औऱ हर राहगीर रुककर इस परम्परा को अपने मोबाइल में कैद करने लगा l
दुल्हन के चाचा डॉ राजेन्द्र कुमार श्रीमाली ने बताया कि घोड़ी पर बैठकर दुल्हन जब वरपक्ष के घर पहुँचकर बारातियों को बारात लाने का निमंत्रण देती है तो वरपक्ष वाले भी पूरे रीति-रिवाज से दुल्हन का नेकचार एवं सत्कार करते है l इसके बाद ही श्याम को बारात दुल्हन के घर आती है l
दुल्हन के दादा व्यास प. शिवदयाल श्रीमाली ने बताया कि विवाह के दौरान समाज की यह परंपरा सदियों से चली आ रही है जिसे समाज के लोग आज भी निभा रहे है इसके पीछे समाज का दृष्टिकोण बालक की ही भांति बालिका एवम नारी के प्रति भी समानता का भाव रहा है l सनातन  धर्म मे हमेशा स्त्री को पुरुष से पहले रखा गया है यहीं कारण है कि दूल्हा बारात को लेकर  श्याम को वधूपक्ष के घर जाता  है परन्तु दुल्हन दोपहर में ही  वरपक्ष के यहां पहुँच जाती है l
विदित है कि बारात समदड़ी ( बाड़मेर ) से आई है l

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