












बीकानेर,गोचर के अन्य उपयोग के आदेश और खेजड़ी की कटाई से पश्चिम राजस्थान के लोगों की जन भावना आहत है। इन मुद्दों पर किसी का कोई स्वार्थ नहीं है, बल्कि जनास्था से जुड़ा मामला है। जनता, राजनेताओं, संतों ने इन मुद्दों पर सरकार और प्रशासन के समक्ष अनेक बार अपनी भावनाएं धरना, प्रदर्शन, रैली, भिक्षा यात्रा, जनसभा और ज्ञापन के जरिए रख दी है। संत सरजू दास जी महाराज ने कहा है कि “गोचर व ओरण संरक्षण के लिए मैं प्रतिबद्ध हूँ और यदि एक इंच जमीन भी बीकानेर विकास प्राधिकरण (BDA) की ओर से अधिग्रहण की जाती है तो मैं देह त्याग दूंगा।” यह मनस्थिति विरोध की पराकाष्ठा है। इससे पहले भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री देवी सिंह भाटी ने भी “गोचर व ओरण संरक्षण के मुद्दे पर गोचर यथास्थिति पर लाने की मांग नहीं मानने पर देह त्याग की बात कही थी। अब संत समाज गोचर ओरण संरक्षण के लिए 2 दिसंबर को रुद्राभिषेक और गोपाल गौयज्ञ करेंगे। आखिर प्रशासन और सरकार चाहती क्या है? क्यों जनभावनाओं से खिलवाड़ किया जा रहा है। जिला कलेक्टर नम्रता वृष्णि के उपेक्षापूर्ण रवैये से यह दोनों मुद्दे सरकार के लिए उलझन बना दिए गए हैं। इससे सरकार की लोकप्रियता में कमी आई है और भारतीय जनता पार्टी भी सवालों के घेरे में है। केन्द्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल पर भी गोचर आन्दोलन से जुड़े लोग सवाल उठा रहे हैं। खुद भाजपा के कई नेता इस मुद्दे पर अपनी ही सरकार की आलोचना कर रहे हैं। जनता तो गोचर और अवैध खेजड़ी कटाई के मामले में सरकार को कोस ही रही है। जिला कलक्टर की तो खैर बीकानेर में जमकर आलोचना हो रही है। यह बात सही है कि कलक्टर को इस बात का अहसास तक नहीं है, क्योंकि जनता के साथ उनका कोई जुड़ाव भी नहीं है। विश्नोई समाज और पर्यावरण से जुड़ी संस्थाओं के लोग तथा गोचर संरक्षण समिति के प्रतिनिधियों ने जिला कलक्टर के रवैयै की मंचों से, सार्वजिनक स्थलों पर और सरकार के समक्ष आलोचना की है।
बीकानेर जिले की गोचर भूमि को बीडीए के मास्टर प्लान में शामिल करने के सरकार के इस निर्णय और अवैध रूप से खेजड़ी कटाई के मुद्दे पर भाजपा, कांग्रेस के नेता तथा गाय- गोचर, पर्यावरण से जुड़ी संस्थाएं और विश्नोई समाज सरकार की आलोचना कर रहे हैं। गोचर के मुद्दे पर तो केन्द्रीय मंत्री -गजेन्द्र सिंह शेखावत, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मदन सिंह राठौड़, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधराराजे, बीकानेर के चार भाजपा विधायक, देवी सिंह भाटी और अन्य नेता जनता के साथ बोल चुके हैं। खेजड़ी की अवैध कटाई के मामले में भाजपा विधायक अंशुमान सिंह भाटी विधानसभा में सवाल उठा चुके हैं। गोपाष्टमी को कांग्रेस के चार पूर्व मंत्री डा. बी.डी कल्ला, भंवर सिंह भाटी, गोविन्द राम मेघवाल, महेन्द्र गहलोत, शहर अध्यक्ष यशपाल गहलोत देहात अध्यक्ष बिशना राम सियाग, प्रदेश सचिव गजेन्द्र सिंह सांखला और अन्य पदाधिकारियों ने इस निर्णय के खिलाफ बीकानेर कलेक्ट्रेट पर धरना दिया। खेजड़ी की कटाई के मुद्दे पर भी यही कांग्रेस नेता धरना स्थल पर आकर सरकार को चेतावनी दे चुके हैं।
गोचर मुद्दे पर काम करने वाली संस्थाओं का आरोप है कि जिला कलक्टर नम्रता वृष्णि के कई मौकों पर बीकानेर की जन संवेदनाओं को गहरी चोट पहुँचाई है। 19 सितंबर 2025 को जिला कलेक्टर कार्यालय के आगे बड़ी संख्या में बीकानेर की गौ भक्त जनता प्रदर्शन कर रही थी फिर भी जन भावनाओं की कदर नहीं की। गोचर मुद्दे पर 37,000 से अधिक आपत्तियों को नज़रअंदाज़ कर, मास्टर प्लान की खामियों को छिपाया। जन विरोध की अनदेखी कर गोचर भूमियों को BDA के नाम दर्ज करवा देना— ये सब कदम बीकानेर की जन भावना के खिलाफ हैं। इसी बीच, सोलर प्रोजेक्ट के नाम पर हजारों खेजड़ी के पेड़ों का काटा जाना राजस्थान की सांस्कृतिक, धार्मिक और पर्यावरणीय अस्मिता को गहरी चोट पहुंची है। खेजड़ी वही पेड़ है, जिसके लिए अमृता देवी बिश्नोई और 363 शहीदों ने“सर सांतै रुख रहै तो भी सस्तो जान” कहकर अपना बलिदान दिया था। पर्यावरण संघर्ष समिति का कलेक्ट्रेट में धरना पांचवें महिने में प्रवेश कर गया और नोखा दईया में धरने के 500 दिन होने जा रहे हैं। इस विरोध के चलते भी करणीसर भाटियाना में 418 खेजड़ी के पेड़ फिर काट दिए गए हैं। सवाल यह है कि गोचर और खेजड़ी के मामले में सरकार जन भावनाओं को अनदेखा क्यों कर रही है? यह कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है। सवाल सरकार के नीतिगत निर्णयों और अनदेखी पर उठ रहे हें। संतों का रुद्राभिषेक और गोपाल गौयज्ञ सरकार की चेतना और प्रशासन की हठधर्मिता पर प्रतीकात्मक रूप से आखिरी कील बताई जा रही है।
