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बीकानेर,बीकानेर दीपवाली पर बाजारों में खरीदारों की रौनक है। कोई इलेक्ट्रॉनिक सामान, तो कोई सोने-चांदी के जेवरात की खरीदारी कर रहा है। बाजार में भी सोने-चांदी से लेकर बर्तन, किराणा, कपड़ों की दुकानों पर ग्राहक उमड़ रहे हैं।

इन सबके अलावा दीपावली पूजा के मौके पर दुकानों में काम ली जाने वाली बही की भी खरीदारी हो रही है। व्यापारी अपने पुराने खातों को बंद कर नए खाते खोलते हैं। इनकी लिखा-पढ़ी बही खातों में होती है। कंप्यूटर का जमाना आने पर बहीखातों की मांग भले ही कम हो गई हो, लेकिन दीपावाली पर उनके पूजन और नए खाते लिखने की परम्परा अब भी कायम है।

इसी के चलते बाजार में पुराने समय से बहीखाते बनाने वाले व्यापारी आज भी बहीखाते तैयार करते हैं। जानकारों की मानें, तो एक महीने पहले से ही इसको तैयार करने का काम शुरू कर दिया जाता है। दीपावली पर बड़ी संख्या में इसकी खरीदारी होती है। दीपावली पूजा के मौके पर दुकानों में काम ली जाने वाली बही को बनाने में भी दुकानदार पिछले एक माह से जुटे हैं। बही खातों में दुकान के हिसाब को लिखा जाता है। कंप्यूटर के जमाने के बीच यह परम्परा सदियों से चली आ रही है। हर साल दीपावली के दिन बही खातों की पूजा भी की जाती है। उसमें ही सारा लेन-देन लिखा जाता है।

पिछले 29 साल से कर रहे हैं पूजा

एक समय था जब लंबी लाल बही हुआ करती थी, जिसमें सारा काम किया जाता था। लेकिन धीरे-धीरे कंप्यूटर का चलन आ गया। अब सारा काम कंप्यूटर के माध्यम से ही कर रहे है। लेकिन दीपावाली पर बही की पूजा करने की परम्परा है, उसको आज भी निभा रहे हैं। काम जरूर कंप्यूटर में हो गया हो, लेकिन हर साल बही लाते जरूर हैं और उनकी पूजा भी करते हैं। पिछले 29 सालों से यह परम्परा निभा रहे हैं। हर साल शगुन के तौर पर बही खातों की पूजा होती है। पीढ़ी-दर-पीढ़ी इसकी पूजा होती है। लगातार तीसरी पीढ़ी इस परम्परा को निभा रही है। पहले दादा, फिर पिता और चाचा और अब हम भाई इस परम्परा को निभा रहे हैं। दीपवाली के दिन बही

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