बीकानेर,मानव धर्म प्रचार सेवा संस्थान पारीक चौक एवं समाजसेवी हनुमान प्रसाद जी धामू नवरत्न रूपकिशोर शिवलाल कुलदीप धामु परिवार तत्वाधान में’ पर्यावरण संवर्धन संरक्षण हितार्थ “श्रीभागवत बासा भवन पारीक चौक में पांचवे दिवस श्रीमद्भागवत पुराण व्यास तिलक पूजन वीडियो कॉलिंग द्वारा कोगटा फाइनेंस सेल्स कलस्टर हेड पवन चौधरी आइसीआइ आप्रेशन हेङ श्रीमति ज्योति चौधरी पुत्र समरदीप द्वारा करवाया गया । तत्पश्चात पांचवें दिवस की भागवत वाचन करते हुए बालसंत श्रीछैल बिहारी महाराज ने सूर्यवंश कथा प्रसंग के द्वारा सूर्यवंश के अनेकों राजाओं का वर्णन करते हुए राजा विवस्वान,अम्बरीष, सगर,भरत,राजा दिलिप,राजा भागीरथ द्वारा तपस्या से प्रसन्न कर गंगा मैया के “को धरती पर लाने का प्रसंग,व राजा दशरथ के शासन का वर्णन एवं भगवान राम का जन्म,शिक्षा वर्णन,सीता दासी मंथरा के को मंत्रणा से वशीभूत होकर राम को बनवास देना तत्पश्चात अहिल्या उद्धार रावण द्वारा सीता हरण तत्पश्चात हनुमंत लाल द्वारा सुग्रीव से मिलन कराना और भगवान रामेश्वरम की पूजा स्थापना प्रसंग और समंदर को पार कर फिर लंका मैं रावण के साथ युद्ध कर लंका पर विजय प्राप्ति के अनेक कथा प्रसंगों की व्याख्या की।पश्चात चंद्रवंश का वर्णन महाराजा शूर सैन उग्रसेन प्रसंग ओर वासुदेव देवकी का विवाह एवं माता देवकी के गर्भ से माया रूपी कन्या का जन्म तत्पश्चात भगवान कृष्ण का जन्म अवतार प्रसंग के साथ भव्य कृष्ण जन्मोत्सव मनाया गया। भगवान के जन्म के साथ वसुदेव का बंधन मुक्त होना नंद बाबा के यहां ले जाकर भगवान कृष्ण को छोड़ना बाल संत श्रीछैल बिहारी ने कहा, जब परमात्मा का जीवन में आगमन होता है और जीवात्मा माया के बंधनों से मुक्त हो जाता है। उसी प्रकार जब तक वसुदेव माया मोह की शरणागति में थे, “तब तक बंधनों में रहे जीवन में परमात्मा कृष्ण के जन्म प्राकट्य और जीवन में परमात्मा के आने के साथ ही बंधन मुक्त हो गए। बाल शांति देने का कहा कि प्रत्येक सांसारिक प्राणी को माया की शरण छोड़ परमात्मा की शरणागति लेनी चाहिए। क्योंकि माया की शरणागति हमें सदैव बांधती है। और परमात्मा की शरणागति हमें बंधन मुक्त करती है। तत्पश्चात बाल संत ने बताया कि जीवन में जब हम बुराइयों पर जीवन में अंकुश लगाएं।और अनुशासित और मर्यादित और संस्कारित जीवन की जब भी शुरुआत कर देवे।तो समझ जाओ उस प्रत्येक जीव के ह्रदय में भगवान कृष्ण का जन्म हुआ है।क्योंकि केवल कृष्ण ही नीतिगत जीवन जीने का सिद्धांत बतलाने वाला प्रमुख अवतार माना गया है। जीवन से जब बुराइयों अनीति और विकारों रहित जीवन यापन करें। तो जीव को मान लेना चाहिए कि उसके जीवन में भगवान कृष्ण का जन्म हुआ है।अधर्म का नाश धर्म के संस्थापना और साधु संतजन गोब्राह्मण एवं धर्म की रक्षा हेतु होता है भगवान का अवतार। तत्पश्चात बाल संत द्वारा कृष्ण की बाल लीलाओं के साथ, पूतना उद्धार, षकटभंजन लीला, कालिया नाग का उद्धार, एवं माखन चोरी की लीला, चीर हरण लीला कथा, ब्रह्मा के अभिमान को तोड़ने आदि के अनेक प्रसंग कथा द्वारा बतलाए।कथा प्रभारी मनु जी महाराज ने बताया कि वर्तमान में श्रीभागवत बासा भवन में हो रही भागवत कथा सहयोगी के रुप मैं उद्योगपति समाजसेवी नवरत्न धामू ,रूपकिशोर,शिवलाल धामू,कुलदीप बॉबी मिस्त्री,जय लक्ष्मी, आरव दक्ष लक्ष्य मनोज कुमार कैलाशचंद्र मालचंद धामू, नितेश आसदेव कुणाल नंदिनी
सीमा पुरोहित ,अपनी सेवा दे रहे हैं।