बीकानेर, राज्य गुणवत्ता आश्वासन दल द्वारा बुधवार को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बिग्गा का मूल्यांकन किया गया। राज्य कार्यक्रम अधिकारी नलिनी खत्री के नेतृत्व में दल ने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को तय मानदंडों पर खरा पाया है। यदि राष्ट्रीय स्तर के दल द्वारा भी निरीक्षण में 70% से अधिक अंक मिलते हैं तो पीएचसी को 3 साल तक प्रतिवर्ष ₹3 लाख का इंसेंटिव मिलेगा जो अस्पताल के विकास में काम आएगा। निरीक्षण दल में जयपुर यूपीएम किरण मंथ व पीएचएम जय प्रकाश भारद्वाज शामिल रहे। इस अवसर पर अस्पताल प्रभारी, डॉ गजेंद्र सिंह तंवर, रितेश गहलोत सहित स्टाफ मौजूद रहा।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ मोहम्मद अबरार पंवार ने बताया कि दल द्वारा तीन दिवसीय दौरे मैं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र रीडी, उदरासर व बिग्गा का मूल्यांकन किया गया है और तीनों को ही 70% से अधिक अंक प्राप्त हो गए हैं। जल्द ही राष्ट्रीय सर से दल को आमंत्रित किया जाएगा। जिले में आदिनांक 33 के लक्ष्य के विरुद्ध 4 शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, 8 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र व 2 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रो का राज्य स्तर से सफल मूल्यांकन हो चुका है।
गुणवत्ता आश्वासन कार्यक्रम के जिला नोडल अधिकारी एवं डिप्टी सीएमएचओ परिवार कल्याण डॉ योगेंद्र तनेजा ने बताया कि गुणवत्ता आश्वासन कार्यक्रम के अंतर्गत जिले में राष्ट्रीय स्तर से अब तक जिला अस्पताल का लेबर रूम ही सर्टिफाई हो पाया है।
*लाने होंगे 70 प्रतिशत अंक*
राज्य कार्यक्रम अधिकारी नलिनी खत्री ने बताया कि गुणवत्ता आश्वासन कार्यक्रम के अंतर्गत सीएचसी को 12 चेकलिस्ट, पीएचसी को 6 तथा स्वास्थ्य कल्याण केंद्रों को एक चेक लिस्ट अनुसार मापदंडों से गुजरना होता है और कम से कम 70% अंक प्राप्त करने होते हैं। तत्पश्चात राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर की टीमों द्वारा पुनः निरीक्षण में 70 प्रतिशत अंक मिलने पर सर्टिफिकेट जारी किया जाएगा। मापदंडों की बात करें तो इंफ्रास्ट्रक्चर, हाइजीन, सेवा गुणवत्ता, संसाधनों की उपलब्धता तथा मरीजों के अधिकार संबंधी विषय महत्वपूर्ण है।
*लाखों के इंसेंटिव 3 साल तक*
डॉ अबरार ने जानकारी दी के नेशनल क्वालिटी एश्योरेंस सर्टिफिकेट प्राप्त करने पर सामुदायिक स्वास्थ्य स्वास्थ्य केंद्रों को प्रति वर्ष लगभग 3 से 5 लाख रुपए 3 साल तक जबकि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को 3-3 लाख रुपए 3 साल तक, इसी प्रकार स्वास्थ्य कल्याण केंद्र को 1 से 2 लाख रुपए 3 साल तक प्रति वर्ष इंसेंटिव के रूप में प्राप्त होंगे।