बीकानेर,भाजपा बीकानेर शहर और देहात के अध्यक्षों के नाम फाइनल है। नामों की घोषणा होने को ही है। प्रदेश भाजपा को बीकानेर में संगठन चुनाव को लेकर दवाब की राजनीति और गुटबाजी का जो माजरा देखने को मिला है। वह बीकानेर भाजपा की विडंबना ही कही जाएगी। यह बीकानेर में भाजपा की राजनीति पर गंभीर सवाल भी है। पहले बीकानेर शहर के चुनाव प्रभारी लखावत को इस घटिया राजनीति और गुटबाजी से तंग आकर उन्होंने स्वेच्छा से प्रभारी से इस्तीफा दे दिया। नए प्रभारी दशरथ सिंह पर दूसरे गुट ने पक्षपात का आरोप लगाया और कहा कि वे अन्य नेताओं के दवाब में है। एसीएसटी और ओबीसी की अनदेखी कर रहे है। दशरथ सिंह ने तो इस गुट को सटीक जवाब दे दिया कि इन दोनों के अलग प्रकोष्ठ बने है। कोई पक्षपात नहीं हो रहा है। बीकानेर की राजनीति में संगठन चुनाव को लेकर सांसद और पश्चिमी के शहर विधायक तनातनी जग जाहिर है। विधायक की राजनीति को क्रेश करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी गई है। यह वो ही विधायक है जिसने लोकसभा चुनाव में बीकानेर प्रत्याशी को विजय दिलाने में मोदी के नाम पर वोट डलवाने में रात दिन एक कर दिया था। न शाबाशी चाही न अहसान जताया। आज दूसरे गुट ने साबित कर दिया कि राजनीति किसी की सगी नहीं होती। जो लोग पार्टी के सिद्धांतों नीति नियमों से निष्ठा पूर्वक संगठन में काम करते हैं। जिनमें नेतृत्व क्षमता है वे इन गुटों के नेताओं के पिछलग्गू नहीं है आज पदों के खातिर मुंह ताक रहे हैं। जो गुटों, और नेताओं के पिछलग्गू हैं वे अध्यक्ष पद के लिए दावे ठोक रहे है। सांसद गुट के समर्थकों का दावा है कि देहात और शहर में उनका ही जिलाध्यक्ष होगा। शहर विधायक की चुनौती है कि शहर अध्यक्ष तटस्थ और निष्पक्ष व्यक्ति बनेगा। बीकानेर शहर देहात जिलाध्यक्षों के लिए जिन नामों की चर्चा है उसमें शहर से महावीर रांका, अनिल शुक्ला, मोहन सुराणा, अखिलेश प्रताप सिंह, नारायण चौपड़ा है। वहीं देहात में कन्हैया लाल सियाग, छैलू सिंह, आस करण भट्टड़, बेगा राम बाना, भंवर जांगिड़ समेत कई भाजपा नेता मशक्कत कर रहे हैं। कई नेता केंद्रीय मंत्री के बुते अध्यक्ष पद पर दावेदारी जता रहे हैं, कोई संघ के समर्थन से पद पाने के प्रयास में है तो कोई अपने आकाओं और धन बल के बूते दौड़ लगा रहे हैं। वहीं कई लोग पार्टी संगठन में अपने समर्पण और निष्ठा के भरोसे पद पाने की आस लगाए बैठे हैं। फिर भी पार्टी में सत्ता का ध्रुवीकरण और गुटबाजी का जिलाध्यक्ष बनने में प्रभाव रहेगा। बीकानेर में भाजपा की राजनीति में संगठन के चुनाव से नेताओं की तनातनी और राजनीतिक चरित्र साफ हो गया है।
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