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बीकानेर,महाराजा गंगासिह विवि का 19 वां स्थापना दिवस छात्रों को समर्पित दिवस के रूप में मनाना स्वागत योग्य है, क्योंकि विश्वविद्यालय में छात्र संख्या कम और ढांचा बड़ा है। स्थापना दिवस पर कुलाधिपति और कुलपति ने जो संदेश दिया है वो विवि को आगे बढ़ाने की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। सब जानते हैं कि इस विवि की फीस से रिकार्ड आय होती है। इस आय से विवि का 19 सालों में आधारभूत ढांचा तो खड़ा कर दिया गया, परंतु इतनी अवधि के बाद भी विवि में छात्र संख्या नाम मात्र की है। इससे विवि स्थापना के दो दशकों में कहां तक पंहुचा है सोचने की जरूरत है। भवनो से विवि की उन्नति का ग्राफ नहीं खींचा जा सकता। बेशक आधारभूत संसाधन जरूरी है परंतु बिना विद्यार्थियों के ये साधन बेमानी है। छात्र क्यों नहीं है ? इसका कारण कुलपति और शिक्षाविदों का विजन है। यह बात बेबाक रूप से सही है कि कुलपति ज्यादा कुछ कर नहीं पाए हैं। विवि कॉकस के बाहर कुलपति देखें तो उनको पता चले कि उनकी और विवि शिक्षा के बार में समाज में क्या धारण है। महाराजा गंगा सिंह विवि कैसे संचालित होता है। कितनी अंदरूनी राजनीति हैं। और कितने राजनीतिक कुचक्र चलते हैं जानना हो तो बीकानेर शहर के पाटों पर बैठकर जान लें। खैर कुलपति ही भावी पीढ़ी का भविष्य बनाते हैं। अभी विश्वविद्यालय में कमोबेश दस संकाय है जिसमें पर्यावरण, माइक्रो बाइलोजो, कंप्यूटर साइंस में तो अधिकांश सीटें खाली रहती है। नए विषयों में पद स्वीकृत नहीं है। पुराने विषयों के स्वीकृत पद भरे नहीं हैं। विश्व विद्यालय और कालेजों के बीच तालमेल का अभाव है। पूरा विश्वविद्यालय राजनीति का अखाड़ा बना हुआ है। कुलाधिपति स्थापना दिवस पर संदेश देते हैं आचार्य विवि को अच्छे आचरण से ऊंचाइयों पर ले जाएं। इसके जवाब में विश्व विद्यालय में आपसी खींचतान का असर कार्य व्यवस्था पर देखा जा सकता हैं। इनोवेशन सेंटर और गार्गी महिला छात्रावास सार्थक कैसे हो इसकी चिंता किसको है। दो दशक का यह विश्वविद्यालय शिक्षा की दृष्टि से अभी भी नन्हा ही है। संगठक कालेज, नए संकाय और मानव संसाधन बढाकर विश्व विद्यालय की दशा सुधारी जा सकती है। वैसे आधारभूत संसाधनों के अलावा विश्व विद्यालय की साख और दशा दोनों ठीक नहीं है कुलपति महोदय। मिया मिठू कोई कितना ही बने यह कड़वा सच है।

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