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बीकानेर,जयपुर। प्रदेश में स्कूलो को खोलने को लेकर एक बार फिर चर्चा छिड़ गई है, एक तरफ निजी स्कूल लगातार स्कूल खोलने का दबाव बना रहे है तो दूसरी तरफ अभिभावक है जो स्कूल खोलने के समर्थन में तो है किंतु उन्हें पहले राज्य सरकार और स्कूलो से बच्चों के स्वास्थ्य की गारंटी और जिम्मेदारी चाहिए। संयुक्त अभिभावक संघ ने स्कूल खोलने पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ” राज्य सरकार निजी स्कूलों के गहरे दबाव में आकर प्रदेश में कोरोना की तीसरी को आने का खुला निमंत्रण देने की तैयारी कर रही है। अपनी जिम्मेदारीयों से पल्ला झाड़ते हुए राज्य सरकार सारी जिम्मेदारी अभिभावकों के माथे पर मड रही है।

प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि पूर्व में भी हम स्कूलो को खोले जाने के समर्थन में थे और आज भी हम समर्थन में है किंतु हमारी और अन्य सभी अभिभावकों का कहना है कि वर्तमान कोरोना संक्रमण के इस दौरान से प्रदेश का प्रत्येक वर्ग पीड़ित और प्रभावित हुआ है ऐसे में राज्य सरकार और स्कूल दोनो मिलकर बच्चो के स्वास्थ्य और सुरक्षा की गारंटी और जिम्मेदारी लेंवे जिससे प्रदेश का अभिभावक सन्तुष्ट हो सके और निर्भीक होकर बच्चों को स्कूल भेज सके। कोरोना से पीड़ित और प्रभावित अभिभावकों के अनगिनत परिवार है जिसके पास रोजगार और काम – धंधे का गहरा संकट गहराया हुआ है ऐसी स्थिति में पहले से ही उनके ऊपर निजी स्कूलों की फीस का दबाव है जिससे वह निपट नही पा रहे है अब अगर स्कूल खुलते है और बच्चे कोरोना संक्रमित होते है तो वह उन बच्चों का इलाज कैसे सुनिश्चित करवाएंगे। अभिभावकों में बच्चों के स्वास्थ्य की सुरक्षा सबसे बड़ी चुनोती है जिसे राज्य सरकार को गंभीरता से लेना भी चाहिए और उनके स्वास्थ्य की सुरक्षा और गारंटी भी लेनी चाहिए।

*मुख्यमंत्री खुद बोल रहे है 22 अगस्त से हालात बिगड़ने के आसार, केवल निजी स्कूलों के दबाव में फीस वसूलने के लिए 7 दिनों तक स्कूल खोलना जायज है*

प्रदेश अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल ने कहा कि राज्य सरकार केवल निजी स्कूलों के दबाव में आकर अभिभावकों के हितों के साथ लगातार समझौता कर रही है। प्रदेश के शिक्षा मंत्री बन्द कमरों में बैठकर निजी स्कूलों और उनके संगठनों के साथ बैठके कर योजनाएं बनाते है, जबकि डेढ़ साल से राहत की गुहार लगा रहे अभिभावकों को अपमानित कर भगा देते है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत लगातार कोरोना की तीसरी लहर पर बयानबाजी कर सतर्कता बरतने का बखान गा रहे है मुख्यमंत्री खुद बोल रहे है 22 अगस्त से हालात बिगड़ने का अंदेशा जता रहे है उसके बावजूद स्कूलो को खोलने का निर्णय ना केवल अभिभावकों, विद्यार्थियों और शिक्षकों के जीवन को संकट में डालना है बल्कि इसका गहरा प्रभाव प्रत्येक जनमानस पर भी आएगा। शिक्षा मंत्री की उपस्थिति में हुई मंत्री समूह की बैठक में बड़ी कक्षाओं के बच्चों के स्कूल खोलने पर विचार-विमर्श हुआ और सहमति बनाकर मुख्यमंत्री के पास निर्णय करने के लिए भेजा। जबकि अभिभावकों का सबसे बड़ा सवाल है की ” राज्य सरकार निजी स्कूलों के दबाव में आकर बच्चों की जिंदगी से ही क्यो खिलवाड़ करने को उतारू है, 18 प्लस के ऊपर कॉलेज भी आते है राज्य सरकार सर्व प्रथम कॉलेज क्यो नही खुला रही है सिनेमा हॉल क्यो नही खुलवा रही है। जिनका वेक्सिनेशन हो चुका है उनको जाने की अनुमति नही है लेकिन जिनका वेक्सिनेशन हुआ ही नही है ना वेक्सिनेशन की कोई जानकारी है बच्चों को लेकर कब आएगा की जानकारी नही है ऐसे में निजी स्कूलों की फीस वासुली के दबाव में आकर योजनाबद्ध तरीके केवल क्या 7 दिनों के लिए स्कूल खोले जाएंगे।

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