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बीकानेर, 2 बजे के बाद नहीं मिलते डॉक्टर सोनोग्राफी के लिए 2 घंटे इंतजार पीबीएम अस्पताल के रेडियोलॉजी विभाग के कमरा नंबर 22 के बाहर लिछमा एक घंटे से सोनोग्राफी के लिए डॉक्टर का इंतजार कर रही थी।महिला को जसरासर स्वास्थ्य केंद्र से रेफर कर दिया गया है। क्योंकि प्रसव के बाद उसका खून बहना बंद नहीं हो रहा था। पिता भंवरलाल अपनी बेटी का दर्द नहीं देख पाए। वह अक्सर खिड़की के पास जाता है और पूछता है कि डॉ साहब कब आएंगे? लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं मिलता – डॉक्टर कॉल पर हैं। वह वापस आकर चिंता और निराशा के साथ अपनी बेटी के पास खड़ा हो जाता। आंटी रुखमा देवी नवजात की देखभाल कर रही हैं।

डैली भी बुआ बालादेवी के साथ बरामदे में सोते हुए सोनोलोजिस्ट के आने का इंतजार कर रही है। डॉक्टर ने डिलीवरी से पहले सोनोग्राफी कराने को कहा है। डॉक्टर के आने के बाद दोनों मरीजों की सोनोग्राफी कराई गई। व्यवस्था की लापरवाही के चलते ट्रामा सेंटर में भर्ती मरीजों को सोनोग्राफी के लिए कमरा नंबर 22 में जाना पड़ता है।

जबकि ट्रामा सेंटर में सोनोग्राफी मशीन लगाई गई है। लेकिन सोनोलॉजिस्ट की कमी के चलते मरीजों को ट्रॉमा सेंटर और कमरा नंबर 22 के बीच बंद किया जा रहा है। जनाना में भर्ती मरीजों और ट्रॉमा सेंटर समेत अन्य वार्डों के मरीजों को भी सोनोग्राफी के लिए कमरा नंबर 22 में जाना पड़ता है।

हाल ही में जिला कलेक्टर ने चिकित्सा अधिकारियों को पीबीएम अस्पताल में मरीजों की जांच व इलाज में हस्तक्षेप नहीं करने के निर्देश दिए थे। जिसके बाद मीडिया की टीम ने पीबीएम में फ्री इंक्वायरी सिस्टम चेक किया तो कुछ ऐसे ही हालात मिले।

दृश्य 1 हनुमानगढ़ के मोनू को ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया है। दीवार गिरने से वह गंभीर रूप से घायल हो गया। रात 9 बजे कमरा नंबर 22 में जाना पड़ा क्योंकि ट्रॉमा में सोनोग्राफी रूम बंद था। जिससे स्थिति और बिगड़ गई।

दृश्य 2 राम निवास को सुबह नौ बजे स्कूटी सो जाने के बाद ट्रामा सेंटर ले जाया गया। लेकिन सोनोग्राफी रूम में ताला लगा था। स्ट्रेचर पर झिझकने के बाद आखिरकार उन्हें कमरा नंबर 22 में जाना पड़ा।

दृश्य 3 ऐना सीढ़ियों से गिरकर घायल हो गई है। उसे ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया गया था। अंदरूनी चोट के कारण उन्हें सोनोग्राफी के लिए कमरा नंबर 22 में भी जाना पड़ा। जहां 2 घंटे के इंतजार के बाद नंबर आया।

पीबीएम में प्रतिदिन 400 से अधिक रोगियों की सोनोग्राफी की जाती है

सोनोग्राफी के महत्व को इस बात से समझा जा सकता है कि पीबीएम अस्पताल में प्रतिदिन 400 से अधिक मरीज सोनोग्राफी करवा रहे हैं। हालांकि सोनोग्राफी कराने वाले मरीजों की संख्या 600 से ज्यादा है। पीबीएम के सुपर स्पेशियलिटी सेंटर में 35-40, कैंसर अस्पताल में 30-40, 16 नंबर आउटडोर में 60-80, जनाना अस्पताल में 60-70, ट्रॉमा सेंटर में सोनोग्राफी मशीन व यूरोलॉजी फिलहाल बंद है। सोनोग्राफी कक्ष संख्या 22 में प्रतिदिन अधिकतम 200 मरीजों की सोनोग्राफी होती है।

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