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बीकानेर,किसी भी संगठन के लिए रजत जयंती वर्ष (5 मई 2023- 5 मई 2024) में शानदार उपलब्धियों के साथ प्रवेश करना अपने आप में बेहद गर्व का विषय है। 5 मई 2023 को देवभूमि हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में मंच के रजत जयंती वर्ष का उद्घाटन समारोह बेहद शानदार एवं ऐतिहासिक रूप से संपन्न हुआ। इस शानदार उपलब्धि का सुअवसर यूं ही नहीं प्राप्त हुआ है। इसके पीछे एक लंबे संघर्ष की कहानी है। तिब्बत की आजादी एवं वहां की तमाम समस्याओं को लेकर किसी भी रूप में संघर्ष की बात की जाए तो उसमें भारत-तिब्बत सहयोग मंच का नाम बहुत ही आदर एवं प्रमुखता से लिया जाता है। भारत-तिब्बत सहयोग मंच की स्थापना की बात की जाए तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक माननीय डाॅ. इंद्रेश कुमार जी जब जम्मू- कश्मीर, लेह-लद्दाख एवं हिमाचल प्रदेश में संघ के प्रचारक थे तो उस समय अनेकों तिब्बती धर्मगुरु एवं तिब्बती नेता उनसे मिलकर तिब्बत की आजादी के लिए भारत में जन आंदोलन की बात करते थे, तब माननीय इंद्रेश जी ने 5 मई 1999 को हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में भारतीय एवं तिब्बती समुदाय के लोगों को साथ लेकर मंच की स्थापना की। मंच की स्थापना के समय तिब्बती धर्म गुरु परम पावन दलाई लामा जी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चतुर्थ पूज्यनीय सरसंघचालक श्रद्धेय प्रो. राजेन्द्र सिंह जी (रज्जू भैया) एवं पंचम पूज्यनीय सरसंघचालक श्रद्धेय कु.सी. सुदर्शन जी का आशीर्वाद मिला। इस कार्य के लिए सुप्रसिद्ध शिक्षाविद डॉ. कुलदीप चंद अग्निहोत्री जी को संयोजक की जिम्मेदारी सौंपी गई। उसके बाद भारत सरकार के पूर्व विदेश एवं वित्त मंत्री श्री यशवंत सिन्हा जी और उनके बाद भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री श्री भगतसिंह कोश्यारी जी ने अध्यक्ष के रूप में भारत-तिब्बत सहयोग मंच का नेतृत्व किया। वर्तमान में खादी इंडस्ट्री बोर्ड ( पंजाब सरकार) के पूर्व चेयरमैन सरदार हरजीत सिंह ग्रेवाल जी कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में मंच का नेतृत्व कर रहे हैं।

मंच की स्थापना के बाद सक्रियता एवं कार्य की दृष्टि से माननीय इंद्रेश कुमार जी के मार्गदर्शन में डॉ. कुलदीप चंद अग्निहोत्री जी ने वैचारिक रूप से मजबूत करने का काम किया, वहीं अब मंच को वैचारिक, संगठनात्मक, आंदोलनात्मक एवं अन्य क्षेत्रों में मजबूत करने का कार्य किया जा रहा है । मंच को सर्वदृष्टि से सक्रिय करने में मंच के महामंत्री श्रीमान पंकज गोयल जी बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह कर रहे हैं। उनका प्रयास धीरे-धीरे रंग ला रहा है और मंच निरंतर प्रगति के पथ पर अग्रसर होता जा रहा है।
5 मई 2023 को धर्मशाला में आयोजित रजत जयंती समारोह में राष्ट्रीय पदाधिकारी श्रीमती सुधा आचार्य, राष्ट्रीय सह संयोजक पर्यावरण संरक्षण प्रकोष्ठ तथा श्रीमती प्रोमिला गौतम जिलाध्यक्ष, महिला विभाग, बीकानेर का भी सम्मान किया गया।
ध्यातव्य है कि वैसे तो, मंच के द्वारा वर्ष भर किसी न किसी रूप में कार्यक्रमों का आयोजन होता रहता है किंतु प्रमुख रूप से कुछ कार्यक्रम ऐसे हैं जिनका आयोजन प्रति वर्ष नियमित रूप से होता रहता है। प्रमुख कार्यक्रमों की श्रृंखला में 12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद जी की जयंती के पावन अवसर पर युवा विभाग द्वारा विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम किये जाते हैं । 18 फरवरी को मंच के मार्गदर्शक माननीय इंद्रेश कुमार जी का जन्मदिवस सद्भावना दिवस के रूप में मनाया जाता है। 10 मार्च को तिब्बती स्वाधीनता संग्राम, जन क्रांति दिवस के अवसर पर पूरे देश में कार्यक्रम होते हैं। इसी प्रकार 12 मार्च को तिब्बती महिला स्वाधीनता संग्राम दिवस के रूप में मनाया जाता है। 5 मई को मंच का स्थापना दिवस बहुत ही धूमधाम से पूरे देश में मनाया जाता है। 5 जून से 20 जून तक पर्यावरण सुरक्षा पखवाडा के रूप में मनाया जाता है l 6 जुलाई को परम पावन दलाई लामा जी का जन्मदिन पूरे देश में बेहद उत्साह से मनाया जाता है l श्रावण मास में कैलाश मानसरोवर की मुक्ति हेतु श्रावण संकल्प के रूप में कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं l मंच के कार्यकर्त्ता प्रतिवर्ष रक्षाबंधन पर्व तिब्बती भाई- बहनों के साथ बहुत ही उत्साह के साथ मनाते हैं l 20 अक्टूबर को चीनी आक्रमण विरोधी दिवस के रूप में कार्यक्रमों का आयोजन होता है। गौरतलब है कि 20 अक्टूबर 1962 को चीन ने भारत पर आक्रमण किया था। 14 नवंबर को संकल्प स्मरण दिवस के रूप में सांसदों, जन-प्रतिनिधियों एवं अन्य प्रमुख लोगों को चीन द्वारा कब्जा की गई भूमि को वापस लेने के लिए संसद द्वारा पारित प्रस्ताव को याद दिलाने के लिए पत्र दिया जाता है। 19 से 25 नवंबर तक तवांग तीर्थ यात्रा (गुवाहाटी से बुमला बॉर्डर) का आयोजन बहुत ही धूमधाम एवं उत्साह के साथ होता है। इस यात्रा के द्वारा देशवासियों में देश की एकता, अखंडता एवं देशभक्ति की भावना को और अधिक मजबूत करने के लिए अलख जगाने का कार्य किया जाता है। 10 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के अवसर पर विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से क्रूर एवं आतताई चीन को यह संदेश देने का कार्य किया जाता है कि तिब्बत में मानवाधिकारों को तहस-नहस करने का कार्य न करे और जल्द से जल्द तिब्बत को आजाद करने की दिशा में कदम बढ़ाये। इन सभी कार्यक्रमों के अतिरिक्त प्रत्येक बुधवार को रात्रि 8 बजे मंच के आधिकारिक फेसबुक पेज से लाइव बुलेटिन का प्रसारण किया जाता है।
माननीय इंद्रेश जी का स्पष्ट रूप से मानना है कि यदि चीन को कमजोर करना है तो उसके खिलाफ हथियार उठाने के बजाय उसकी आर्थिक रूप से कमर तोड़ दी जाए। इसके लिए आवश्यकता इस बात की है कि चीनी सामानों के बहिष्कार के लिए पूरे देश में जन जागरण का कार्य किया जाए। इस कार्य में मंच को बहुत व्यापक रूप से सफलता मिली है। आज स्थिति ऐसी बन गई है कि लोग चीनी सामानों का बहिष्कार करने लगे हैं और भारत ने बहुत से चीनी एप पर प्रतिबंध भी लगा दिया है। दिवाली के पावन अवसर पर तो सरकार ने चीनी पटाखों पर प्रतिबंध भी लगा दिया। इसे मंच की बड़ी कामयाबी के रूप में देखा जा रहा है। मंच का स्पष्ट रूप से यह मानना है कि यदि तिब्बत आजाद होगा तो भारत भी सुरक्षित होगा। हांगकांग में लोकतंत्र की मांग को लेकर भी मंच के कार्यकर्त्ता चीन पर दबाव बनाने का कार्य करते रहते हैं। तिब्बत पर चीन का कब्जा होने से भारत की बहुत लम्बी सीमा चीन से मिलती है किंतु यदि तिब्बत आजाद हो जाएगा तो भारत की सीमाएं चीन के बजाय तिब्बत से मिल जाएंगी। ऐसे में तिब्बत भारत के लिए एक मजबूत पड़ोसी के रूप में सुरक्षा कवच का काम करेगा , इसलिए भी चीन को हर दृष्टि से कमजोर करना हम सबकी नैतिक जिम्मेदारी बनती है। इसमें हम जितनी अधिक अपनी भूमिका का निर्वाह करेंगे उतना ही ईश्वरीय एवं पुण्य का काम करेंगे।
मंच के महामंत्री श्रीमान पंकज गोयल जी के कठिन परिश्रम की बदौलत भारत के सभी प्रांतों में एवं 324 जिलों में मंच की सक्रिय इकाइयां गठित हैं । रजत जयंती वर्ष में 500 जिलों में सक्रिय इकाई गठित करने का कार्य किया जायेगा l इसके अतिरिक्त मंच ने महिला एवं युवा विभाग का गठन किया है। कार्य को और अधिक आगे बढ़ाने की दृष्टि से प्रबुद्ध प्रकोष्ठ, पर्यावरण प्रकोष्ठ, विश्वविद्यालय प्रकोष्ठ एवं विदेश संपर्क प्रकोष्ठ का भी गठन किया गया है, जो अपने-अपने क्षेत्रों में बहुत ही सक्रियता से कार्य कर रहे हैं। मंच के मार्गदर्शक माननीय इंद्रेश कुमार जी मंच के प्रमुख कार्यों एवं उद्देश्यों के अतिरिक्त नारी शोषण, बढ़ती जनसंख्या, धर्मांतरण, धर्मांधता, छुआछूत, गंदगी, दहेज, प्रदूषण, हिंसा, दंगे, अलगाववाद, गरीबी, अशिक्षा आदि से मुक्त भारत का निर्माण करने के लिए भी कार्यकर्ताओं को सदैव प्रेरित करते रहते हैं। कुल मिलाकर कहने का आशय यही है कि माननीय इंद्रेश जी मंच के माध्यम से राष्ट्र एवं समाज का समग्र विकास चाहते हैं।
राष्ट्र निर्माण में मंच अग्रणी होकर समय-समय पर अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करता है। चीनी वायरस कोरोना से लड़ने के लिए भारत-तिब्बत सहयोग मंच ने 6,21,000 रुपये का चेक प्रधानमंत्री राहत कोष में दिया । 5 मई 2020 को कोरोना योद्धाओं के सम्मान के लिए मंच के कार्यकर्त्ताओं ने बहुत ही बेहतरीन एवं सराहनीय कार्य किया। स्थानीय स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक अनेक कार्यक्रमों का आयोजन किया l कोरोना काल में अदम्य साहस से जिन लोगों ने सेवा कार्य किये, उन्हे मंच के द्वारा सम्मान पत्र दिया गया, जिसकी समाज में काफी सराहना हुई।
समग्र दृष्टि से यदि भारत-तिब्बत सहयोग मंच का मूल्यांकन किया जाए तो गर्व के साथ कहा जा सकता है कि माननीय इंद्रेश कुमार जी के मार्गदर्शन में मंच की अब तक की यात्रा बहुत ही शानदार रही है। चीन के विरुद्ध जन जागरण में मंच को निरंतर कामयाबी मिल रही है। तिब्बत की आजादी का मामला पूरे विश्व के चिंतन में आया है। मंच के राष्ट्रीय महामंत्री श्रीमान पंकज गोयल जी के अनवरत प्रयासों से मंच वैचारिक, संगठनात्मक एवं आंदोलनात्मक रूप से लगातार मजबूत हो रहा है। उत्तर भारत, मध्य भारत एवं पश्चिमी भारत में मंच की स्थिति बहुत मजबूत है। पूर्वी एवं पूर्वोत्तर भारत में मंच के कदम बहुत तेजी से आगे बढ़ रहे हैं और वहां संगठन का विस्तार बहुत ही तेज गति से हो रहा है। इसी प्रकार दक्षिण भारत में भी मंच का कारवां लगातार आगे बढ़ता ही जा रहा है। यदि मंच का सफर इसी प्रकार जारी रहा तो वह दिन दूर नहीं जब पूरे देश में भारत-तिब्बत सहयोग मंच का नाम जन-जन की जुबान पर होगा और वह समय निश्चित रूप से मंच के लिए बहुत ही गौरवमयी होगा। श्रीमान पंकज गोयल जी का मानना है कि कार्यकर्ताओं में जिस प्रकार जोश-जुनून एवं लगन है, उससे मंच किसी भी लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है और निश्चित रूप से मंच अपने उद्देश्यों को पूरा करने के लिए अनवरत आगे बढ़ता ही रहेगा और उपलब्धियों के शानदार सफर को और अधिक बुलंदियों पर ले जाने का कार्य करेगा। तिब्बत भी आजाद होगा, भगवान भोलेनाथ का स्थायी निवास कैलाश मानसरोवर भी मुक्त होगा और हिमालयी क्षेत्र भी चीन के कुचक्र से सर्वदृष्टि से सुरक्षित होगा।

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