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बीकानेर,तेरापंथ भवन, गंगाशहर। पर्युषण महापर्व का आज सप्तम दिवस ध्यान दिवस के रूप में मनाया गया। इस अवसर पर श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा द्वारा तेरापंथ भवन, गंगाशहर में आयोजित धर्म सभा में मुनि श्री श्रेयांश कुमार जी ने कहा कि पर्युषण पर्व मैत्री का पर्व है, जिन लोगों से किसी कारण हमारा मन मुटाव हो गया हो, तो इस पावन अवसर पर उससे मैत्री का प्रयास करें। मुनिश्री विमल बिहारी जी ने ध्यान करने से पूर्व क्रोध को शांत करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने ध्यान को निर्जरा का एक प्रकार बताते हुए व्याख्या की। सेवा केंद्र व्यवस्थापिका शासनश्री साध्वीश्री शशि रेखा जी ने कहा कि ध्यान ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति के जीवन में आमूलचूल परिवर्तन संभव है। एकाग्रचित होकर ध्यान की गहराई तक जाए। उन्होंने कालगणना की जानकारी देते हुए चौथे आरे के बारे में बताया तथा भगवान ऋषभकालीन साधु – साध्वियों के बारे में विस्तृत जानकारी दी। साध्वी श्री ललितकला जी ने कहा कि मन, वचन, काया को एकाग्र कर एक विषय पर केंद्रित होना ही ध्यान है। आचार्य हेमचंद्राचार्य द्वारा राजा कुमारपाल को जैन पद्धति के द्वारा साधना और उसके हुए चमत्कार का वर्णन किया। साध्वी श्री रोहित प्रभा जी ने कहा कि निर्जरा के 12 भेदों में से एक भेद है- ध्यान। ध्यान के द्वारा आत्म-साक्षात्कार भी किया जा सकता है। साध्वीश्री मृदुला कुमारी जी ने भगवान अरिष्टनेमी के भव का वर्णन करते हुए श्रीकृष्ण के साथ प्रतियोगिता, विवाह प्रसंग आदि के बारे में बताया। आज प्रवचन के दौरान अनेक तपस्वियों ने तप प्रत्याख्यान किया। सभा मंत्री रतनलाल छलाणी ने बताया कि कल पर्युषण महापर्व का महत्वपूर्ण दिवस संवत्सरी महापर्व पूरे समाज में उपवास पौषध आदि त्याग- तपस्या के साथ मनाया जाएगा। तेरापंथ भवन में प्रात: 8:00 बजे से ही धर्म सभा में साधु – साध्वियों द्वारा प्रवचन दिया जाएगा। समाज के सभी व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद रहेंगे।

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