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बीकानेर,तपस्या आत्म्शुधि का महान साधन है, पूर्व संचित कर्मों का क्षय तपस्या से ही संभव है इसीलिए तपस्या को मोक्ष मार्ग का चौथा पथ बताया गया है ! बिरले हिम्मतवर इंसान ही इस तप रूपी समुन्द्र में गोता लगा सकते है, रसनेन्द्रिय पर विजय पाना बहुत बड़ी साधना है, भोजन होते हुए भी उसके प्रति आसक्ति का त्याग रख कर निराहार तप करना अपने आप में विलक्षण है और बहुत्र बड़ा तप है ! जहाँ इस भौतिक वादी युग में व्यक्ति एक ही दिन में ना जाने कितने कितने खाध्य पदार्थों का सेवन कर लेता है वहीँ अगर कोई 44 दिन बिना कुछ खाए होने की बात करे तो असंभव सा लगता है ! यह और विशेष बात है कि पिछले इन 44 दिनों में तपस्वी भाई श्री लाभचंद आंचलिया ने सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच ही मात्र थोडा सा उबला हुआ जल ही ग्रहण करते है ! ये सब अपने मन की मजबूती से ही संभव हो सकता है !”

गंगाशहर पुरानी लाईन निवासी श्रद्धालु और तपस्वी श्रावक लाभचंद आंचलिया उम्र 63 वर्ष के आज निराहार तपस्या का 44 वा दिन है ! स्वास्थ्य में अनुकूलता रहने से तपस्या में अभी और आगे बढ़ने का भाव है !

देव, गुरु और धर्म के पुण्य प्रताप और परम पूज्य आचार्य  महाश्रमण के मंगल आशीर्वाद तथा गंगाशहर में विराजित उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनिश्री कमलकुमार, मुनिश्री श्रेयांसकुमार जी, साध्वीश्री विशदप्रज्ञा जी, साध्वीश्री लब्धियशा जी आदि सभी साधु साध्वियों की विशेष प्रेरणा सहित स्वयं के दृढ़ मनोबल, ईच्छा शक्ति, और पारिवारिक जनों के सहयोग से तपस्वी भाई लाभचंद  आंचलिया के आज तपस्या का 44वा दिन है । तपस्वी भाई के साता है और आगे बढ़ने का भाव भी है ।

धर्मेंद्र डाकलिया ने बताया कि स्थानीय गंगाशहर में विराजित सभी साधु साध्वी नियमित रूप से तपस्वी भाई को उनके घर जाकर दर्शन सेवा का लाभ प्रदान करवा रहे है । उनकी निरंतर प्रेरणा से ही यह तपस्या का क्रम प्रवर्धमान है । समाज के श्रद्धालु भाई बहिनें भी नियमित रूप से उनके घर जाकर तप अनुमोदना के स्वर प्रस्तुत कर अपनी कर्म निर्जरा कर रहे है, पूरा तपोमय वातावरण बना हुआ है ।
इसके साथ यहां यह भी उल्लेखनीय है कि तपस्वी भाई  लाभचंद तेरापंथ धर्म संघ में दीक्षित मुनिश्री सुमति कुमार जी, मुनिश्री रश्मि कुमार के संसार पक्षीय बड़े भाई है। तथा मुनिश्री आदित्य कुमार भी लाभचंद के ससुराल परिवार से संबंध रखते हैं तपस्वी भाई की जय जय कार है

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