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बीकानेर,राजस्थान क़े महानगरों में बीकानेर का नाम भी आता है, बीकानेर को दो भागो में बाँट दिया, एक हिस्सा पूर्वी और दूसरा पश्चिम l एक हिस्से में इस शहर क़े उच्च अधिकारी, बड़े राजनीतिक नेता और इस शहर क़े रसूखदार लोग और दूसरे हिस्से में मध्यम वर्ग, गरीब वर्ग, मजदूर क्लास क़े लोग और इसी हिसाब से हमारे शासन, प्रशासन में बैठे लोगो का ट्रीमेन्ट है l ज़ब भी बीकानेर में आम जनता को मुलभुत सुविधा देने क़े लिये सरकारी बजट जारी होता है इसका लाभ सबसे पहले पूर्वी क्षेत्र को यह लाभ दिया जाता है ताकि इस क्षेत्र में निवास क़र रहे उन उच्च अधिकारियो, राजनीतिक नेताओं और रसूखदार लोगो को कोई तकलीफ न हो l पूर्वी क्षेत्र में हमारे इन उच्च अधिकारियो को भृमण करके समस्याओं का पता लगाने की फुरसत है किन्तु पश्चिम दिशा में निवास क़र रहे लोगो की ऐसी जवळन्त समस्याएं जो अब इस क्षेत्र क़े लोगो क़े लिये नासूर बनती जा रही है किन्तु प्रशासन में बैठे उच्च अधिकारियो क़े जू तक नहीं रेंगति l चाहे इस क्षेत्र क़े भूमिगत नालो की समस्या हो या टूटी फूटी नालीयो, सड़को की समस्या हो, या फिर इस क्षेत्र का कोई सार्वजनिक पार्क हो, अनेको खम्भे लम्बे समय से रात की रौशनी का इंतजार क़र रहे है किन्तु कोई फर्क नहीं l आश्चर्य तो तब हुआ ज़ब पिछले दिनों हमारे नगर निगम से बीकानेर क़े नालो क़े लिये एक बहुत बड़ी राशि खर्च की जाने वाली है किन्तु एक लम्बे समय से रघुनासर कुआ क्षेत्र, बेसिक कॉलेज, स्कुल, स्वतंत्रता सेनानी ब्रजू भा द्वार क़े पास निवास क़र रहे लोगो को उस समय गहरा धक्का लगा ज़ब नगर निगम द्वारा जारी सूची में इस क्षेत्र क़े नालो का नाम ही नहीं था l पश्चिम क्षेत्र की अनेक सडके टूटी फूटी है, नालियों क़े पतरे क्षतिग्रस्त है किन्तु कोई फर्क नहीं, गंदगी चहु और सड़को पर पसरी पड़ी है किन्तु कर्मचारियों की कमी बहुत बड़ा कारण है l क्योंकि बीकानेर क़े किसी भी विभाग क़े उच्च अधिकारियो ने पश्चिम क्षेत्र की जमीनी हकीकत कभी भृमण करके जानने की कोशिश ही नहीं की l क्योंकि इस क्षेत्र में राजनीतिक जागरूकता की कमी सबसे बड़ा कारण रहा l

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