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बीकानेर,धूलंडी के दिन रंग खेलकर घर जाते समय पुरुष गणगौर के गीत गाकर देवी शक्ति की आराधना करते हैं। वे गीतों के माध्यम से कहते है कि होलाष्टक के 10 दिनों में यदि उनसे कोई गलती हुई हो तो माफ कर देना मां। गीतों का सिलसिला 16 दिन तक चलता है। पंडित जुगल किशोर ओझा पुजारी बाबा, भैरूरतन पुरोहित, सूर्या, अजय देराश्री, शंकर देराश्री की टोलियां गणगौर के गीत गाने कोलकाता तक जाने लगी है।

बीकानेर में 400 साल से चली आ रही है यह परंपरा देशभर में बीकानेर में ही गणगौर के गीत पुरुषों द्वारा गाए जाने की परंपरा 400 साल पहले शुरू हुई थी। यहां से पुरुष राजस्थान और देश के कई शहरों में गणगौर के गीत गाने के लिए जाते है। कोलकाता में गणगौर उत्सव पर गणगौर के गीत गाने के लिए बीकानेर से खासतौर पर पुरुषों को बुलाया जाता है।

चौतीना कुआं पर होगी पानी पिलाने की रस्म धूलंडी के दिन से चल रही बाली गवर की पूजा अब अंतिम चरण में है। दो दिन तक बाली गवर को कुएं पर पानी पिलाने, गवर संभालने की परंपरा का निर्वहन किया जाएगा। इस बार जस्सूसर गेट व जूनागढ़ के आगे मेला भरेगा। कोरोना के कारण दो साल से मेला नहीं भरा था। बालिकाएं अब अपनी गवर को विदा करने की तैयारी में जुट गई है। कुछ तीज यानी सोमवार को गवर को विदा करेंगी तो कुछ चौथ यानी मंगलवार को ।

जस्सूसर गेट के अंदर श्री नृसिंह मंदिर पंचायत ट्रस्ट परिसर में बने पुराने कुएं पर बाली गवर को पानी पिलाने की रस्म निभाने की तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा चुका है। जगह की सफाई कर कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारियां सौंपी गई है। हर साल जूनागढ़ से शाही गणगौर की सवारी निकलती है। जहां चौतीना कुएं पर पानी पीने की रस्म निभाई जाती है। जूनागढ़ मैनेजर कर्नल देवनाथ सिंह ने बताया कि जूनागढ़ से गणगौर की शाही सवारी 2 दिन निकलती है । शाम छह बजे निकलेगी। इस दौरान गाजे-बाजे के साथ राजशाही वेशभूषा में गढ़ के कर्मचारी भी शामिल होंगे।

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