बीकानेर– विश्व पुस्तक दिवस पर जांभाणी साहित्य अकादमी, बीकानेर द्वारा एक ऑनलाइन परिसंवाद आयोजित किया गया ।परिसंवाद का विषय था ‘पुस्तक संस्कृति: समाधान और चुनौतियां’ । परिसंवाद की अध्यक्षता करते हुए हिंदी विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय के अध्यक्ष प्रोफेसर कुमुद शर्मा, उपाध्यक्ष साहित्य अकादमी दिल्ली ने कहा कि पुस्तक संस्कृति के सामने आज एक बड़ी चुनौती है जिसका समाधान के लिए प्रयास किए जाने की आवश्यकता है ।सोशल मीडिया और दूसरे डिजिटल प्लेटफॉर्म का दबाव पुस्तक संस्कृति पर हावी है । इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि लोगों का पुस्तकों के प्रति रुझान घट रहा है । परिसंवाद के मुख्य अतिथि प्रोफेसर केसरी लाल वर्मा ,पूर्व कुलपति पंडित रविशंकर शुक्ला विश्वविद्यालय रायपुर ने कहा कि पुस्तकें जीवन का निर्माण करती है । मनुष्य में मनुष्यत्व तो आरोपण करती है। संस्कृति के निर्माण में भी पुस्तकों का महनीय योगदान रहता है ।कार्यक्रम के बीज वक्ता प्रोफेसर रमेश चंद्र गौड़ डायरेक्टर , राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय दिल्ली ने इस अवसर पर बोलते हुए कहा कि पुस्तक और पुस्तकालय की संस्कृति निश्चित रूप से खतरे में है । आपने तुलनात्मक दृष्टि से बताया कि पश्चिम के देशों की अपेक्षा भारत में पुस्तकों एवं पुस्तकालय के प्रति लोगों व सरकार का रुझान बहुत कम है । इस और विशेष ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है ।साथ ही आपने लेखन व प्रकाशन की नैतिकता पर भी बल दिया । सारस्वत वक्ता प्रोफेसर बाबूराम , अध्यक्ष ,हिंदी विभाग , बाबा मस्तनाथ विश्वविद्यालय ,रोहतक ने कहा कि पुस्तकें सभ्यता के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हमारी संस्कृति ज्ञान संस्कृति है और इसका निर्वहन पुस्तकें ही करती है ।स्वस्थ समाज के निर्माण के लिए अच्छी पुस्तकों का पठन-पाठन और प्रकाशन किया जाना बहुत जरूरी है । जाने-माने प्रकाशन राजकमल पब्लिकेशन के प्रबंध निदेशक अशोक माहेश्वरी ने कहा की पुस्तकें निश्चित रूप से प्रगतिशील समाज का निर्माण करती है परंतु यह भी आवश्यक है कि सत साहित्य का प्रकाशन होना चाहिए । इसमें लेखक ,प्रकाशक पाठक के साथ-साथ आलोचक की भूमिका भी बहुत महत्वपूर्ण होती है । विशिष्ट अतिथि सुश्री परी बिश्नोई आई ए एस सिक्किम कैडर ने इस अवसर पर जीवन में पुस्तकों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि व्यक्तित्व के निर्माण में पुस्तकों की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता । कई बार पुस्तकें मनुष्य के जीवन की दिशा को बदल देती है ।आपने युवाओं से आह्वान किया कि वे सोशल मीडिया का अधिक उपयोग न करें बल्कि पुस्तकों के साथ समय बिताएं । ऐसा समय हमें बहुत कुछ देता है ।कार्यक्रम के प्रारंभ में जाम्भाणी साहित्य साहित्य अकादमी की अध्यक्षा डॉ इंदिरा बिश्नोई ने सभी का स्वागत किया व । पुस्तक दिवस के महत्व पर प्रकाश डाला कार्यक्रम का संचालन जाम्भाणी साहित्य अकादमी के पूर्व महासचिव डॉ सुरेंद्र कुमार विश्नोई ने किया व धन्यवाद ज्ञापन उपाध्यक्ष स्वामी सच्चिदानंद जी आचार्य लालासर ने ज्ञापित किया ।इस कार्यक्रम के संयोजक श्री विनोद जम्भदास महासचिव जांभाणी साहित्य अकादमी रहे तकनीकी प्रबंधन डॉक्टर लालचंद विश्नोई आईटी प्रभारी जाम्भाणी साहित्य अकादमी रहे। इस ऑनलाइन परिसंवाद में देश के कोने कोने से हजारों पुस्तक प्रेमियों ने शिरकत की ।
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