बीकानेर,मानव धर्म प्रचार सेवा संस्थान के संयोजन में बंबलू निवासी हाल मीरारोड मुम्बई के धर्मपरायण भामाशाह आसदेव परिवार की धर्मपरायण माता धापुदेवी के पुत्र कान्ट्रेक्टर श्रीरामप्रताप आसदेव कुंदनमल आसदेव लक्ष्मण आसदेव नवरत्न मनोज पार्थ दिनेश आसदेव परिवार गांव बम्बलु हाल मीरारोड़ मुम्बई की यजमानी में बालसंत श्रीछैल विहारी महाराज की सन्निधि में नया शहर, सुथार मोहल्ला पारीक चौक स्थित भागवत बासा भवन में नवरात्रि हवन यज्ञ साधना अनुष्ठान अनवरत जारी हे।। आठवें दिन बालसंत श्रीछैल विहारी महाराज द्वारा देवी महागौरी पुजन के साथ श्रीदुर्गा सप्तशती पाठ मंगल स्तोत्र के साथ श्रीसुक्तम ओर इंद्राक्षी एवं गायत्री बीज मंत्र के द्वारा 1008 आहुतियों से हवन-यज्ञ किया गया। संस्थान सचिव सीमा पुरोहित ने बताया। कि नित्य प्रतिदिन 21 कन्याओं एवं एक 4 माह की नन्ही कन्या कंजक मोली से और भेरव स्वरूप बालक के चरण पुजन तिलक के साथ बालसंत श्री छैल विहारी महाराज ने चरण शिरोधार्य कर आशीर्वाद लिया और माता के भोग लगाया। उपरोक्त अवसर पर दोपहर कालीन सत्र में प्रवचन करते हुए बालसंत श्रीछैल विहारी महाराज ने माता महागौरी के स्वरूप की संपूर्ण व्याख्या बतलाते हुए कहा। कि दुर्गाजी की आठवीं शक्ति का नाम महागौरी है और नवरात्रि के आठवें दिन इनकी उपासना की जाती है। इन्हें मां पार्वती(अन्नपूर्णा) के रूप में पूजा जाता है। इनका वर्ण पूर्ण रूप से गौर है,इसलिए इन्हें महागौरी कहा जाता है। इनके गौरता की उपमा शंख, चंद्र और कुंद के फूल से की गई है एवं इनकी आयु आठ वर्ष की मानी हुई है। इनके समस्त वस्त्र एवं आभूषण आदि भी श्वेत हैं। मान्यता के अनुसार अपनी कठिन तपस्या से मां ने गौर वर्ण प्राप्त किया था। तभी से इन्हें उज्जवला स्वरूपा महागौरी, धन ऐश्वर्य प्रदायिनी, चैतन्यमयी त्रैलोक्य पूज्य मंगला, शारीरिक मानसिक और सांसारिक ताप का हरण करने वाली माता महागौरी का नाम दिया गया। बालसंत ने बताया कि मां महागौरी का ध्यान-स्मरण, पूजन-आराधना भक्तों के लिए सर्वाधिक कल्याणकारी है। इनकी उपासना से मनुष्य के सभी पाप धुल जाते हैं, उपासक सभी प्रकार से पवित्र और अक्षय पुण्यों का अधिकारी हो जाता है। उसके पूर्व संचित पाप भी नष्ट हो जाते हैं और भविष्य में पाप-संताप, दैन्य-दुःख उसके पास कभी नहीं रहते। इनकी कृपा से आलौकिक सिद्धियों की प्राप्ति होती है। ये भक्तों के कष्ट जल्दी ही दूर कर देती हैं एवं इनकी उपासना से असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं। भक्तों के लिए यह देवी अन्नपूर्णा का स्वरूप हैं। इसलिए अष्टमी के दिन कन्याओं के पूजन का विधान है। ये धन, वैभव और सुख-शांति की अधिष्ठात्री देवी हैं। धन-धन्य और सुख-समृद्धि की प्राप्ति के लिए मां गौरी की उपासना की जानी चाहिए। तत्पश्चात कन्याओं के प्रसाद ग्रहण करवाकर विदा किया।।
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