बीकानेर, भगवान जगन्नाथ ने कुछ इसी तरह प्रवेशद्वार खोलने की विनती की, तो देवी लक्ष्मी ने भी तपाक से जबाव दिया, ‘आयो जठे पाछा जाओ…म्हाने सागे लैग्या कौनी।Ó शनिवार को जेलरोड स्थित जगन्नाथ मंदिर में रूठने-मनाने की परम्परा का कुछ इस तरह से निर्वाह किया गया। बड़ी संख्या में श्रद्धालु इस दृश्य के साक्षी बने। अवसर था नौ दिनों तक रसिक शिरोमणी मंदिर में आवास के बाद भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा के पुन: अपने आवास पर पहुंचने का।मान्यता के अनुसार भगवान के अकेले ससुराल चले जाने से देवी लक्ष्मी नाराज हो जाती हैं और भगवान की वापसी होने पर उन्हें प्रवेश देने से मना कर देती हैं। फिर मान-मनुहार के बाद देवी मानती हैं। मंदिर परिसर में देवी प्रतिमा के साथ महिलाओं ने सवाल किए, तो प्रतीकात्मक रूप से भगवान जगन्नाथ के साथ पुरुषों ने जवाब दिए। बाद में देवी लक्ष्मी व भगवान जगन्नाथ रतनवेदी पर विराजे।
इससे पूर्व रसिक शिरोमणी मंदिर में भगवान जगन्नाथ की महाआरती हुई। इसके बाद गाजे-बाजे के साथ भगवान की रथयात्रा रवाना हुई। केईएम रोड, चौतीन कुआं, कोटगेट होते हुए शाम करीब साढ़े सात बजे जेलरोड स्थित मंदिर पहुंची, तो चारों ओर जयकारे गंूज उठे। श्रद्धालुओं ने पुष्पवर्षा से बलभद्र, सुभद्रा व जगन्नाथ भगवान का स्वागत किया। पुजारी देवकिशन पांडे ने आरती की। इसके बाद भण्डारे का आयोजन किया गया।