जयपुर,किशनगढ़ के निर्दलीय विधायक सुरेश टाक को बनाया जा सकता है संसदीय सचिव।
मंत्रिमंडल का विस्तार अब चर्चा का विषय नहीं है-सचिन पायलट।
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राजस्थान में अशोक गहलोत के मंत्रिमंडल में फेरबदल इसी माह हो जाएगा। हरीश चौधरी और रघु शर्मा को क्रमश: पंजाब और गुजरात का प्रभारी बना दिए जाने के कारण इन दोनों मंत्रियों की छुट्टी होगी। जबकि गोविंद सिंह डोटासरा के पास प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष का भी पद है, इसलिए डोटासरा को भी हटाया जाएगा। मंत्रिमंडल में चाहे कितना भी बड़ा फेरबदल हो, लेकिन यह सब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मर्जी से होगा। मंत्रिमंडल फेरबदल और राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर गहलोत पर कोई दबाव नहीं है। पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के समर्थक विधायकों को भी गहलोत अपने नजरिए से एडजस्ट करेंगे, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या अशोक गहलोत गृह मंत्री का पद छोड़ेंगे? किसी भी राज्य में मुख्यमंत्री के बाद गृह मंत्री का पद ही सबसे महत्वपूर्ण होता है। गहलोत के लिए गृह मंत्री का पद कितना महत्व रखता है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जब दिसंबर 2018 में सचिन पायलट को डिप्टी सीएम बनाया गया, तब भी गृहमंत्री का पद गहलोत ने अपने पास रखा। पायलट को पीडब्ल्यूडी, आईटी जैसे कम महत्व के विभाग दिए, जबकि गृह, वित्त जैसे महत्वपूर्ण विभाग गहलोत ने अपने पास ही रखे। राजनीति के जानकारों के अनुसार गहलोत ने भले ही पायलट जैसे मजबूत राजनेता को गृह मंत्री का पद नहीं दिया हो, लेकिन 1988 में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर पर दबाव बनाकर गृहमंत्री का पद गहलोत ने हासिल किया था। इसके लिए गहलोत ने दिल्ली से भी दबाव डलवाया। उस समय गहलोत प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष थे, लेकिन पार्टी अध्यक्ष पद छोड़कर गहलोत, माथुर मंत्रिमंडल में शामिल हुए। तब गहलोत को पीएचईडी का भी मंत्री बनाया गया था, लेकिन गहलोत एक वर्ष ही गृहमंत्री के पद पर रहे, क्योंकि 1989 में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की बुरी हार होने पर शिवचरण माथुर ने इस्तीफा दे दिया। इसके बाद जब हरिदेव जोशी मुख्यमंत्री बने तो गहलोत को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया। देखा जाए तो इस माह होने वाला फेरबदल काफी बड़ा। 12 नए मंत्री बनाए जा सकते हैं। मंत्रियों का चयन पूरी तरह गहलोत पर निर्भर है, लेकिन देखना होगा कि क्या गहलोत गृह मंत्री का पद छोड़ते हैं? वैसे गृहमंत्री बनने के लिए कोई मंत्री और विधायक लालायित हैं। जो जानकार अशोक गहलोत की राजनीति को समझते हैं, उनका मानना है कि गहलोत गृह मंत्री का पद अपने पास ही रखेंगे। मौजूदा समय में राजस्थान के कांग्रेसी नेता गहलोत के मुकाबले में आधे भी नहीं है। गृहमंत्री का पद देकर किसी मंत्री को अपने मुकाबले में खड़े होने का मौका गहलोत कभी नहींदेंगे। जहां तक सचिन पायलट का सवाल है तो पायलट का महत्व 2023 के चुनाव या चुनाव परिवार के बाद ही देखने को मिलेगा।
टाक बन सकते हैं संसदीय सचिव:
अजमेर जिले के किशनगढ़ के निर्दलीय विधायक सुरेश टाक संसदीय सचिव बनाए जा सकते हैं। सूत्रों की मानें तो हाल ही में सुरेश टाक की मुलाकात सीएम अशोक गहलोत से हुई है। गहलोत ने टाक का सम्मान बढ़ाने का भरोसा दिलाया है। असल में अजमेर जिले से कांग्रेस के मात्र दो विधायक हैं। इनमें से एक विधायक रघु शर्मा चिकित्सा मंत्री हैं। गुजरात का प्रभारी बनाए जाने के कारण रघु की छुट्टी हो रही है। ऐसे में दूसरे विधायक राकेश पारीक के मंत्री बनने की पूरी संभावना है, लेकिन राजनीतिक संतुलन के लिए सीएम गहलोत निर्दलीय विधायक टाक को भी संसदीय सचिव बना सकते हैं। टाक शुरू से ही गहलोत सरकार को समर्थन दे रहे हैं। टाक की वफादारी कांग्रेस के बजाए गहलोत के प्रति है। गहलोत को भी टाक की वफादारी का अहसास है।
विस्तार अब चर्चा का विषय नहीं:
17 नवंबर को पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने जयपुर से उदयपुर तक का सफर सड़क मार्ग से किया। जगह जगह कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने पायलट का स्वागत किया। उदयपुर पहुंचने से पहले पायलट ने भीलवाड़ा में आचार्य महाश्रमण से आशीर्वाद प्राप्त किया। कांग्रेस की नवनिर्वाचित विधायक प्रीति शेखावत की पुत्री के विवाह में शामिल होने के लिए पायलट उदयपुर पहुंचे हैं। अजमेर के किशनगढ़ टोल नाके पर मीडिया से संवाद करते हुए पायलट ने कहा कि राज्य में मंत्रिमंडल विस्तार अब चर्चा का विषय नहीं है। इस मामले में प्रदेश प्रभारी और कांग्रेस हाईकमान सक्रिय है। जल्दी ही परिणाम सामने आ जाएंगे।