
बीकानेर, राजस्थान में मेवाड़ से मारवाड़ तक रानी साहिबा अर्थात वसुंधरा राजे की चार दिवसीय देवदर्शन यात्रा पर भाजपा में मौन व्रत है। यह यात्रा ऐसे समय में हुई, जब जयपुर में झां अजय प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक प्रस्तावित थी। जबकि आगामी रविवार को जयपुर में पांच दिसंबर को प्रदेश कार्यसमिति के विशेष सत्र में अमित शाह अनुशासन की पाठशाला लगाएंगे। मगर रानी की देवदर्शन यात्रा का संदेश भी साफ है कि जनता और कार्यकर्ताओं की पहली पसंद वे ही हैं। हालांकि राजे ने साफ किया है कि यात्रा राजनीतिक नहीं थी, लेकिन यात्रा के कार्यक्रमों के आयोजन के तरीके और भीड़ में असली तस्वीर साफ हो गई है।उपचुनाव के नतीजे भाजपा के लिए बेहद निराशाजनक रहे हैं। पार्टी धरियावद में तीसरे तो वल्लनगर में चौथे स्थान पर रही है। नतीजों के बाद से ही प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया, विपक्ष के नेता गुलाबब चंद कटारिया, उप नेता राजेद्र राठौड़ वसुंधरा राजे समर्थकों के निशाने पर हैं और राजे को २०२३ के चुनाव के लिए मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाने की मांग कर रहे हैं। सवाल वसुंधरा राजे पर भी उठ रहे हैं कि स्टार प्रचारक होने के बावजूद वे दोनों सीटों पर चुनाव प्रचार करने नहीं गईं। उसी दरम्यान पूर्व मंत्री महिपाल मदेरणा के निधन पर शोक जताकर लौटते वक्त ग्रामीण इलाकों में महिलाओं के साथ खाना खाने से लेकर सेल्फी लेना चर्चा का विषय रहा था।