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बीकानेर। गोकुल सर्किल स्थित सूरदासाणी बगेची में चल रही स्व. दुर्गादेवी चूरा की पावन स्मृति में भागवत कथा के तृतीय दिवस आज पूजनीय महाराज श्री मुरली मनोहर महाराज ने बताया कि सांख्य दर्शन के प्रणेता श्री कपिल मुुनि ने माता देहुती को दिव्य ज्ञान प्रदान किया। फिर कथा में महाराज दक्ष प्रजापति के यज्ञ का वृतांत सुनाया। शिव के अपमान से क्षुब्ध होकर मां पार्वती ने अपनी पीड़ा अभिव्यक्त की। इसके साथ धु्रव का पावन प्रसंग सुनाया। माता सुनीति ने पितृ प्रेम से विरक्त हुए धु्रव को तप का मार्ग सुझाया। महाराज ने बताया कि दृष्टांत से सिद्धांत पुष्ट होते हैं। ‘नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र से धु्रव ने अटल एकनिष्ठ तप किया जिससे धु्रव को भगवान विष्णु के दर्शन हुए। महाराज ने पृथु के अवतरण कथा, 100 अश्वमेघ यज्ञों का पावन प्रसंग सुनाया। जहां मैं और मेरा नष्ट हो जाए वही मोक्ष है। यह गूढ़ रहस्य भी पं. मुरली मनोहर महाराज ने बताया। अजामिल द्वारा मृत्यु पूर्व नारायण पुकारने पर उस पापी को मोक्ष हुआ। ऐसे अनेक भागवत में दिए पुण्यकारी प्रसंग भी उन्होंने सुनाए। कथा के मध्य महर्षि नारद, धु्रव, महादेव तथा ब्रह्मा जी की दिव्य सजीव झांकियां प्रस्तुत की गयी, भगवत भक्त उन्हें देखकर भाव-विभोर हो गए। भगवान नृसिंह अवतार की भव्य आकर्षक झांकी दिखायी गयी। रात्रि में बीकानेर के मानस पाठियों द्वारा भक्तिमय सुंदरकांड पाठ का आयोजन हुआ जिसमें पंडाल ‘राममय’ हो गया।

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