बीकानेर,प्रदेश के 11 सरकारी इंजीनियरिंग काॅलेजाें में इकलाैता यूनिवर्सिटी काॅलेज ऑफ इंजीनियरिंग है जिसे सरकार ने प्लान मद से यानी ब्लाॅक ग्रांट नहीं दी क्याेंकि बीकानेर तकनीकी यूनिवर्सिटी की बैलेंस शीट में कराेड़ाें रुपए हैं। सरकार का कहना है कि जब विवि के पास इतना पैसा है तो फिर वह मदद क्यों करे। जबकि विवि का तर्क है कि यदि यूनिवर्सिटी के कोष से वेतन देते जाएंगे तो एकदिन वो भी खत्म हो जाएगा। कुलपति का कहना है कि स्थायी समाधान सरकार ही दे सकती है। दोनों के बीच इसी विवाद का खामियाजा कर्मचारियों को भुगतना पड़ रहा है। सात महीने से इनकाे वेतन नहीं मिल रहा।
दरअसल बीकानेर इंजीनियरिंग कॉलेज बीकानेर तकनीकी यूनिवर्सिटी का पहला संगठक काॅलेज है। इसमें करीब 60 टीचिंग और और 70 नाॅन टीचिंग स्टाफ है। प्रदेश के सभी 11 सरकारी इंजीनियरिंग काॅलेज काे सरकार प्लान मद से उनके स्टाफ स्ट्रेंथ के हिसाब से ग्रांट देती है। सिर्फ इस काॅलेज काे अब तक एक बार भी ग्रांट नहीं दिया गई। जब यूनिवर्सिटी ने सरकार से ग्रांट के लिए राशि मांगी ताे सरकार ने यूनिवर्सिटी से बैलेंस शीट मांग ली। सरकार ने पाया कि यूनिवर्सिटी के खाते में करीब 16 कराेड़ रुपए जमा हैं।
सरकार ने कहा कि यूनिवर्सिटी अपने पैसे से कार्मिकाें काे वेतन दे। वेतन मद के लिए आईडी भी क्रिएट करा दी गई। मजबूरी में विवि ने साढ़े तीन कराेड़ रुपए वेतन के लिए रिलीज कर दिए। हालांकि अभी तक स्टाफ काे वेतन नहीं मिला लेकिन जल्दी ही छह महीने का वेतन मिलने की उम्मीद है। जानकार कहते हैं कि सरकार तब तक वेतन के लिए ग्रांट नहीं देगी जब तक यूनिवर्सिटी के पास बैलेंस है।
बीटीयू ने कार्मिकाें के वेतन के लिए सरकार काे दाे सुझाव दिए थे। पहला कि सरकार स्थायी फंड जारी करे ताकि लंबे समय तक वेतन का इंतजाम किया जा सके। दूसरा बाकी इंजीनियरिंग काॅलेजाें की तरह ब्लाॅक ग्रांट जारी की जाए। सरकार ने एकमुश्त राशि का प्रस्ताव निरस्त कर दिया। ग्रांट पर फैसला हाेना बाकी है। वेतनमद में प्राेविजन किया जाएगा या नहीं इस निर्णय का इंतजार है। सरकार ने विवि की बिल्डिंग निर्माण के लिए मंजूर पैसा भी अभी तक नहीं दिया है।
हमने यूनिवर्सिटी काेष से साढ़े तीन कराेड़ रुपए छह माह के वेतन के लिए रिलीज किए हैं लेकिन ये स्थायी समाधान नहीं है क्याेंकि एक दिन विवि का काेष भी खाली हाे जाएगा। इसलिए हमने सरकार काे कुछ सुझाव भेजे हैं। उन पर अमल हाेता है तभी कार्मिकाें के वेतन का स्थायी समाधान निकल सकता है। अंबरीश शरण विद्यार्थी, कुलपति, बीटीयू