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बीकानेर,राजस्थान हाईकोर्ट ने बीकानेर की स्थायी लोक अदालत के उस फैसले में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया, जिसमें एक आवारा सांड के हमले से जान गंवाने वाली महिला के परिजनों को तीन लाख रुपए का मुआवजा देने का नगर निगम को आदेश दिया गया था।

न्यायाधीश विनित कुमार माथुर की एकल पीठ में बीकानेर नगर निगम की ओर से दायर याचिका की सुनवाई के दौरान दलील दी गई कि प्रश्नगत मामले में मुआवजा देने का आदेश देकर स्थायी लोक अदालत ने विधिक भूल की है, जिस सेवा में त्रुटि बताई गई है। उस पर निर्णय करना लोक अदालत के क्षेत्राधिकार का विषय नहीं है।

एकल पीठ ने कहा कि सार्वजनिक संरक्षण या स्वच्छता की व्यवस्था नगर निगम, बीकानेर का दायित्व था। निगम उचित संरक्षण और स्वच्छता प्रदान करने में विफल रहा है, जिसके चलते आवारा जानवर सड़कों पर देखे जा रहे हैं। आवारा सांड के हमले से संतोष देवी का अस्पताल में उपचार के दौरान निधन हो गया। पीठ ने कहा कि निगम कानूनन अनिवार्य, अपेक्षित सेवाओं और कर्तव्यों को पूरा करने के प्रति उदासीन रहा है। स्थायी लोक अदालत ने अधिनियम की धारा 22 के अनुसरण में उचित विचार किया और सही निर्णय दिया।

कड़ी टिप्पणी भी की

कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि शहरों में राहगीरों पर आवारा पशुओं के हमले से आए दिन घटनाएं हो रही हैं। अब समय आ गया है जब ऐसे मामलों में चोटों और मौतों का सामना करने वाले व्यक्तियों को मुआवजा देने का रास्ता अपनाया जाए। ऐसे मामलों में मुआवजा देने के लिए नगर निगम पर दायित्व तय करने की कड़ी कार्रवाई भविष्य में ऐसी दुर्घटनाओं को रोकने में सहायक होगी और अधिकारियों को अपने कर्तव्यों का ईमानदारी और निष्ठा से निर्वहन करने के लिए मजबूर करेगी।

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